एजुकेशन सेक्टर को लेकर बजट में होने जा रहा ये बड़ा ऐलान, 2 दिन बाद होंगे कई सारे बदलाव

Simran Vaidya
Published on:

दो दिन बाद बजट 2023 आपके सामने प्रस्तुत होने जा रहा है और इस बजट से देश का एजुकेशन सिस्टम परिवर्तित हो जाएगा क्योंकि सरकार ने बनाए है ये प्लान, चलिए जानते हैं विस्तार से. Union Finance Minister निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त साल 2023-24 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत करने वाली हैं. भारत समकालीन वैश्विक आर्थिक चैलेंजेज का सामना करते हुए निरंतर आगे बढ़ रहा है.

सरकार और विशेषज्ञों द्वारा अटकलें जाहिर की जा रही है कि भारतीय अर्थव्यवस्था जिस गति से आगे बढ़ रही है, यदि वह गति जारी रहती है तो हमारा देश निकट फ्यूचर में महाशक्ति बन सकता है. इस दौरान, यह ख्याल रखना अनिवार्य है कि इस दिशा में निरंतर आगे बढ़ने के लिए एजुकेशन की भूमिका महत्वपूर्ण है. आपको यह भी बता दें कि भारत का एक विकासशील राष्ट्र होने के नाते शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट हमेशा न्यूनतम रहा है और कोष का डायवर्जन साधारण रहा है.

Also Read – केंद्रीय कर्मचारियों की बल्ले बल्ले, वेतन बढ़ाने की पुरानी मांग होगी पूरी, सैलरी में होगा इतना इजाफा

आज भारतीय अर्थव्यवस्था के उन्नति के लिए education field को स्ट्रांग बनाना बहुत आवशयक माना जा रहा है. ऐसे में, प्रश्न यह पैदा होता है कि आखिर इस वर्ष के बजट में ऐसा क्या उपाय किया जाए, जिससे शिक्षा के क्षेत्र को मजबूती मिले? विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने शिक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए सात प्रमुखताएं निर्धारित की हैं. तो चलिए, जानते हैं उन सात प्रमुखताओं के बारे में.

शिक्षा पर सार्वजनिक निवेश में वृद्धि

एक्सपर्ट्स की मानें, तो education सेक्टर (1964-66) ने recommendation की थी कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का कम से कम 6 प्रतिशत एजुकेशन पर खर्च किया जाना चाहिए, ताकि शैक्षिक सफलता में बढ़ोतरी की ध्यान देने योग्य रेट्स बनाई जा सके. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी) ने भी शिक्षा पर public investment को सकल घरेलू प्रोडक्ट का 6 प्रतिशत करने पर जोर दिया. हालांकि, यह बात साफ़ है कि भारत का शिक्षा बजट इस लेवल को कभी नहीं छू पाया है.

यह अभी भी महत्वपूर्ण प्रतिशत के लगभग आधे के तक़रीबन मंडरा रहा है. शिक्षा क्षेत्र बड़े पैमाने पर डेवलपमेंट कर रहा है, इसलिए इसके मार्केट के आकार और विकास की गतिशीलता के अनुरूप धन आवंटित किया जाना चाहिए. हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले बजट युवा भारत को अभूतपूर्व उन्नति के मार्ग पर ले जाने के लिए शिक्षा पर उचित सार्वजनिक निवेश का वादा करता है.

शैक्षणिक सेवाओं से संबंधित जीएसटी में संशोधन

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बात से मना नहीं किया जा सकता है कि टैक्स सरकार के लिए राजस्व प्राप्त करने के लिए अनिवार्य हैं, जो बदले में निर्धन श्रेणियों को सब्सिडी प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. लेकिन, एजुकेशन के अनेको लेवल पर सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने के पर्पस को प्राप्त करने के लिए आशा कर सकते हैं कि सरकार इस क्षेत्र के डेवेलपमेंट को बढ़ावा देने में सहायता करने के लिए शैक्षिक सेवाओं पर GST को भारी रूप से कम कर देगी या इसे एक निर्धारित अवधि के लिए पूरी तरह से हटा देगी.

शिक्षक प्रशिक्षण और उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए बजट आवंटन

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शिक्षक प्रशिक्षण और प्रौढ़ शिक्षा के लिए बजट आवंटन 2021-22 में 250 करोड़ था, जो 2022-23 में घटकर 127 करोड़ रह गया. आमतौर पर ही, समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) ने 2022-23 में बजटीय आवंटन में 6000 करोड़ की बढ़ोतरी देखी, फिर भी यह 2020-21 के आवंटन से कम था. इसलिए, यह आशा की जा सकती है कि इस वर्ष शिक्षक प्रशिक्षण और एसएसए को एनईपी 2020 के इफेक्टिव कार्यान्वयन के लिए अधिक बजट प्राप्त होगा.

तृतीयक शिक्षा को बढ़ावा देने की योजनाएं

भारत की शिक्षा प्रणाली एक पिरामिड के रूप में है, जिसका एक व्यापक आधार प्राथमिक शिक्षा में नामांकन का नेतृत्व करता है और एक संकुचित टॉप
पर तृतीयक शिक्षा का सिंबल है. शिक्षा के तृतीयक लेवल पर नामांकन में भारी बढ़ोतरी के लिए आशा की जा सकती है कि सरकार तृतीयक शिक्षा के लिए आकर्षक ऋण योजनाओं और छात्रवृत्ति के लिए उचित धन आवंटित करेगी.

बालिका शिक्षा को बढ़ावा

तृतीयक शिक्षा के अतिरिक्त, भारत को शैक्षिक प्राप्तियों में लैंगिक भिन्नता की चुनौती का भी सामना करना पड़ता है. यह डिफरेंस असल में भारतीय अर्थव्यवस्था के डेवलपमेंट उद्देश्यों के लिए नुकसानदायक है. ‘अमृतकाल’ को उसके असली स्वरूप में तभी अनुभव किया जा सकता है, जब सभी बालिकाओं और युवतियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, जो उनका मानवाधिकार है. उम्मीद यह है कि सरकार बालिका शिक्षा के लिए अतिरिक्त धनराशि आवंटित करेगी, ताकि शिक्षा में लैंगिक समानता सुनिश्चित की जा सके.

छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने पर धन का आवंटन

कोरोना काल -19 महामारी और लॉकडाउन ने विश्व भर में डर और चिंता की मंशा उत्पन्न कर दी है. इस मामले के कारण बच्चों और किशोरों के लिए अल्पावधि के साथ-साथ दीर्घकालिक मनोसामाजिक और मेन्टल हेल्थ पर प्रभाव पड़ा है. आशा यह है कि सरकार टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग एक्रॉस स्टेट्स (टेली-मानस) जैसी अधिक कल्याणकारी योजनाएं शुरू करेगी, जो पिछले वर्ष के बजट में छात्रों को रणनीतियों का सामना करने और मुलायमता लाने में मदद करने के लिए शुरू की गई थी.

इससे सीखने के लिए अनुकूल वायुमंडल तैयार हो सकेगा. इस वित्तीय वर्ष के बजट में भारत को उच्च उन्नति के मार्ग पर ले जाने वाले शिक्षा क्षेत्र के विकास पर जोर देने का अनुमान है. जानकार और कुशल लोग निश्चित रूप से भारत के आर्थिक विकास की रफ़्तार को तेज करेंगे।

Also Read – मशहूर सिंगर कैलाश खेर पर हमला, संगीत कार्यक्रम के दौरान फेंकी बोतल