उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में मानव तस्करी से जुड़ा एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन से लेकर आम जनता तक को झकझोर कर रख दिया है। सदर कोतवाली क्षेत्र की काशीराम कॉलोनी में एक संगठित गिरोह लंबे समय से गरीब और असहाय परिवारों को झूठे लालच में फंसाकर बच्चियों की तस्करी कर रहा था। इस गिरोह का पर्दाफाश एक साहसी पिता की सतर्कता और हिम्मत से हुआ, जिसने अपनी 11 वर्षीय बेटी की तस्करी की साजिश को भांपकर समय रहते पुलिस को सूचना दी।
कैसे हुआ खुलासा?

काशीराम कॉलोनी निवासी मोहम्मद जहीर उर्फ छोटे, पुत्र मोहम्मद हलीम ने आरोप लगाया है कि उनके पड़ोस में रहने वाला फारुख नामक व्यक्ति बच्चियों की तस्करी के काले धंधे में लिप्त है। फारुख ने मोहम्मद जहीर को लालच देकर कहा कि अगर वह अपनी बेटी को उसके हवाले कर देगा, तो बदले में उसे मोटी रकम, जमीन और एक गाड़ी दी जाएगी। शुरुआत में मोहम्मद जहीर इस झांसे में आ गया, लेकिन समय रहते उसे फारुख की असली मंशा का अंदाजा हो गया। इसके बाद उसने तुरंत पुलिस को सूचना दी और पूरे मामले का खुलासा किया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए कन्नौज पुलिस ने बिना देरी किए कार्रवाई की। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और साथ ही 11 साल की बच्ची को भी सकुशल बरामद कर लिया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार किए गए एक आरोपी के पास से दो अन्य नाबालिग बच्चियों को भी बरामद किया गया है।
गिरोह के विस्तार की जांच शुरू
पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क की तह तक जाने की कोशिश कर रही है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह गिरोह सिर्फ कन्नौज जिले तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार राज्य के अन्य जिलों और बड़े शहरों से भी जुड़े हो सकते हैं। यह भी सवाल उठ रहे हैं कि इतने लंबे समय तक यह गिरोह सक्रिय कैसे रहा और स्थानीय खुफिया तंत्र को इसकी भनक क्यों नहीं लगी।
SP की चुप्पी पर उठे सवाल
घटना को लेकर कन्नौज के पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतने गंभीर मामले में शीर्ष पुलिस अधिकारी क्यों चुप्पी साधे हुए हैं।
जनआक्रोश और प्रशासन की चुनौतियां
इस पूरे मामले ने जिले में भय और गुस्से का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय लोग प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और यह भी सवाल पूछ रहे हैं कि क्या इस तरह के संगठित तस्करी गिरोह अभी भी सक्रिय हैं और क्या उनके खिलाफ कोई सख्त नीति बनाई जाएगी?