प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के करीब 45 हजार जवानों को अब होमगार्ड कर्मियों के समान मानदेय प्राप्त होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए पीआरडी जवानों को बड़ी राहत दी है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को भी बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि पीआरडी जवानों को उप्र पुलिस आरक्षी और होमगार्ड के बराबर वेतन दिया जाए। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि यह लाभ सभी 45 हजार जवानों तक पहुंचाया जाए।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में केवल उन्हीं पीआरडी जवानों को समान मानदेय देने की बात कही थी, जिनकी याचिकाएँ न्यायालय में विचाराधीन थीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि यह सुविधा सिर्फ सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सभी जवानों को समान रूप से प्रदान की जाएगी।
आरक्षी के समान मानदेय की पुरानी मांग
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में होमगार्ड बल की स्थापना से पहले ही पीआरडी जवान सेवाएँ दे रहे थे। उल्लेखनीय है कि पूर्व में कानून-व्यवस्था सहित विभिन्न महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वाले होमगार्ड जवानों को आरक्षी के बराबर मानदेय देने की मांग लगातार उठती रही थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से होमगार्डों को मिली बड़ी राहत
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2019 में होमगार्ड जवानों को पुलिस आरक्षी के न्यूनतम वेतन के बराबर भत्ता देने का प्रावधान किया गया। उसी दौरान उनका दैनिक मानदेय 500 रुपये से बढ़ाकर 672 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया था।
395 से बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिदिन हुआ भत्ता
हाल ही में पीआरडी जवानों ने अपने मानदेय में वृद्धि की मांग उठाई थी। उनका कहना था कि वे भी होमगार्ड जवानों जैसी ही जिम्मेदारियाँ निभाते हैं, इसलिए उन्हें समान पारिश्रमिक मिलना चाहिए। इसी बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीआरडी जवानों के मानदेय को 395 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिदिन करने का निर्णय लिया।