ममता सरकार को तगड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव को लेकर सुनाया ये बड़ा फैसला

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सुप्रीम कोर्ट से पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि राज्य में पंचायत चुनाव केंद्र सुरक्षा बलों की मौजूदगी में होंगे। कोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ममता सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्य में चुनाव के दौरान हिंसा का पुराना इतिहास रहा है और सुबह में मौजूदा हालातों को मैंने जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के मकसद से ही हाई कोर्ट ने आदेश दिया है।

 

बंगाल सरकार की और से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलों में केंद्रीय बलों की नियुक्ति का आदेश सुना दिया हैं। इस आदेश से ऐसा लगता है कि जैसे देश के सभी जिले संवेदनशील हो और राज्य पुलिस चुनाव कराने में सक्षम नहीं है। पंचायत चुनाव की तारीख 8 जुलाई की है लेकिन हाईकोर्ट ने 48 घंटे की ही अंदर केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दे दिया है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चाहे 2023 हो या 2018 बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा का इतिहास रहा है। चुनाव कराने की आड़ में हिंसा की इजाजत नहीं दी जा सकती। अगर लोगों को इस बात की भी आजादी नहीं है कि वह नामांकन पत्र दाखिल कर पाए और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का सवाल ही नहीं होता है।

SC का सरकार और निर्वोचन आयोग सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने दूसरे राज्यों से भी पुलिस फोर्स की मांग की है यह अपने आप में दर्शाता है कि चुनाव के लिहाज से राज्य पुलिस पर्याप्त नहीं थी हाईकोर्ट का आदेश दिया है। इसमें राज्य सरकार को क्या आपत्ति हैं।

हरीश साल्वे की दलील

हाई कोर्ट इस मामले पर याचिकाकर्ता सुवेंदु अधिकारी की ओर से हरीश साल्वे ने दलील दी है कि अगर राज्य सरकार यह मानकर चल रही है कि केंद्रीय सुरक्षा बल कोई आक्रमणकारी सेना है। तो इस मानसिकता का कुछ नहीं हो सकता राज्य निर्वाचन आयोग से उम्मीद की जाती है कि वह निष्पक्ष होकर काम करें पर यहां वह राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करता नजर आ रहा है यह समझ से परे है कि राज्य निर्वाचन आयोग यहां याचिकाकर्ता क्यों है।