होम्योपैथी के प्रति बढ़ा विश्वास, 7 वर्षीय बालक ने ITP जैसी गंभीर बीमारी को दी मात

7 वर्षीय अंशुमान सिंह ने डॉ. ए.के. द्विवेदी की होम्योपैथिक चिकित्सा से ITP जैसी जटिल बीमारी को हराकर वैकल्पिक उपचार पद्धतियों में नई आशा जगाई।

Abhishek Singh
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होम्योपैथी के प्रति बढ़ा विश्वास, 7 वर्षीय बालक ने ITP जैसी गंभीर बीमारी को दी मात

स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक नई आशा की किरण उस समय दिखाई दी जब उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ निवासी 7 वर्षीय अंशुमान सिंह ने ITP (इम्यून थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया) जैसी जटिल और भयावह बीमारी को मात दी। यह कमाल इंदौर के प्रसिद्ध होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. ए.के. द्विवेदी की समर्पित चिकित्सा पद्धति, गहन अनुभव और मानवीय दृष्टिकोण के कारण संभव हो पाया।

यह केवल एक मरीज की चिकित्सा यात्रा नहीं, बल्कि उन हजारों परिवारों के लिए आशा का संदेश है, जो जटिल बीमारियों से जूझ रहे हैं और वैकल्पिक उपचार पद्धतियों को लेकर संकोच या अनभिज्ञता के कारण निर्णय नहीं ले पाते। यह सफलता होम्योपैथी के प्रति जन-सामान्य की सोच को बदलने का अवसर भी है।

जून 2024 में जब अंशुमान की तबीयत बिगड़ने लगी और उसकी प्लेटलेट्स 3,000 तक गिर गईं, तब उसके माता-पिता बुरी तरह घबरा गए। अनेक डॉक्टरों और अस्पतालों में लंबा उपचार चला, लेकिन ITP की जटिलता और बोन मैरो खराबी की आशंका ने पूरे परिवार को मानसिक और आर्थिक रूप से झकझोर दिया। कई चिकित्सकों ने यह कहा कि यह बीमारी दीर्घकालिक है और इसका इलाज सीमित है।

ऐसे में जब हर दिशा बंद-सी लग रही थी, तब परिवार डॉ. ए.के. द्विवेदी के पास पहुँचा। डॉ. द्विवेदी ने न केवल अंशुमान की मेडिकल हिस्ट्री को गंभीरता से समझा, बल्कि होम्योपैथिक पद्धति में रोगी-केन्द्रित विश्लेषण के आधार पर उसका व्यक्तिगत उपचार प्रारंभ किया।

डॉ. द्विवेदी द्वारा निर्धारित होम्योपैथिक उपचार में एक ओर जहाँ वैज्ञानिक दृष्टिकोण था, वहीं दूसरी ओर परिवार को मानसिक रूप से संबल भी मिला। दवाओं के नियमित सेवन, जांचों की सतत निगरानी और माता-पिता के साथ निरंतर संवाद ने इस उपचार को एक भावनात्मक आधार भी प्रदान किया।