दिनांक 30 सितंबर 2021
भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह द्वारा 30 सितंबर 2017 से प्रारम्भ कर करीब 6 महीने में दुर्गम रास्तों से चलकर लगभग 3200 किलोमीटर की दूरी तय कर 09 अप्रैल 2018 को नर्मदा जी की एक पूरी परिक्रमा सम्पन्न हुई थी। इस परिक्रमा में पूर्व सीएम के साथ उनके अनेकों सहयोगी और सहयात्री भी पैदल परिक्रमा कर रहे थे उन्हीं में से एक सहयोगी व सहयात्री श्री ओमप्रकाश शर्मा ने पहले ही दिन की परिक्रमा के बाद रोज के अनुभवों को अपने डायरी में लिखना शुरू कर दिया था और बाद में उन्होंने अपने सारे अनुभवों को एक पुस्तक की शक्ल दी और “नर्मदा के पथिक” नामक करीब 410 पृष्ठों की किताब की रचना की। वास्तव में दिग्विजय सिंह के संकल्प के पूरा होने का दस्तावेज है “नर्मदा के पथिक”
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“नर्मदा के पथिक” पुस्तक का विमोचन मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसरोवर ऑडिटोरियम में एक गरिमामय समारोह में हिंगलाज सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के प्रतिनिधि लक्ष्मीमणी शास्त्री, गुजरात के मंगलेश्वर आश्रम से ज्योति दीदी, करुणाधाम आश्रम के शांडिल्य महाराज, खंडवा के दादा धुनि दरबार के छोटे सरकार, पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह, श्रीमती अमृता राय, पूर्व सांसद श्री रामेश्वर नीखरा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री एनपी प्रजापति, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, पुस्तक के प्रकाशक श्री पंकज सुबीर व लेखक श्री ओमप्रकाश शर्मा के करकमलों से सम्पन्न हुआ।
पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम की शुभारंभ आमंत्रित गणमान्य अतिथियों द्वारा नर्मदा जी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। और उसी क्रम में होशंगाबाद से पधारे ब्राह्मणों ने नर्मदाष्टक का संगीतमय पाठ किया। पूर्व सांसद श्री रामेश्वर नीखरा ने स्वागत भाषण दिया। “नर्मदा के पथिक” पुस्तक के लेखक श्री ओपी शर्मा ने पुस्तक का परिचय और उससे संबंधित वृत्तांत सुनाए। पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह की धर्मपत्नी व नर्मदा परिक्रमा में सहयात्री रहीं श्रीमती अमृता राय ने अपने उद्बोधन में नर्मदा परिक्रमा के दौरान के अनुभव सुनाए साथ ही पर्यावरण संरक्षण की बात की। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को आशीर्वाद देने पधारे सभी साधु-महात्माओं और साध्वियों ने आशीर्वचन दिए।
साधु महात्माओं के आशीर्वचन के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष श्री एनपी प्रजापति ने अपने उद्बोधन में बरमान की महिमा का वर्णन किया। भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि आज का दिन दिग्विजय सिंह जी का है और हम सभी उन्ही को सुनने आये हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री कांतिलाल भूरिया ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की तुलना महात्मा गांधी से कर बताया कि जिस तरह महात्मा गांधी जी चलते हुए कभी नही थकते थे उसी तरह श्री दिग्विजय सिंह ने इतनी लंबी दूरी की परिक्रमा कर सभी को प्रेरणा दी। राज्यसभा सांसद श्री विवेक तन्खा ने अपने संबोधन में कहा कि श्री दिग्विजय सिंह ने परिक्रमा के संकल्प के बारे में मुझे बताया था। श्री तन्खा ने कहा कि कोई माने या न माने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार दिग्विजय सिंह जी की नर्मदा परिक्रमा करने के बाद ही बनी। पूर्व मंत्री श्री पीसी शर्मा ने लेखक श्री ओपी शर्मा की सराहना की। उन्होंने श्री दिग्विजय सिंह के साथ चले सभी परिक्रमा वासी जो कार्यक्रम में उपस्थित थे उनको बधाई दी। श्री पीसी शर्मा ने कहा कि उन्हें अपने गृह ग्राम में परिक्रमावासियों की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ और श्री दिग्विजय सिंह ने अपनी राज्यसभा निधि से यात्री निवास के लिए 5 लाख रुपये की राशि परिक्रमा के दौरान ही स्वीकृत की थी।
शिवना प्रकाशन के प्रकाशक श्री पंकज सुबीर ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैंने अपने जीवन में किसी पुस्तक का इतना ऐतिहासिक विमोचन कार्यक्रम कभी नही दिखा।
कार्यक्रम के अंत में पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि नर्मदा तट पर रहने वालों के चरणों में नमन करता हूँ। नर्मदा जी के सदा वृत की प्रथा है, लोगों के घर में खाना नहीं होगा, दाना नहीं होगा तो मांग कर लायेगा खिलायेगा लेकिन भूखा नहीं सोने देगा। उन सब के प्रति आभार बहुत बहुत धन्यवाद।
उन्होंने कहा कि नर्मदा परिक्रमा के दौरान की बहुत सी ऐसी बात हैं जो लोगों को मालूम नहीं है राजनीतिज्ञों में वैचारिक मतभेद होते हैं, कटुता भी कई बार आ जाती है लेकिन मैं एक ऐसा उदाहरण आपको देने वाला हूँ जिसके बारे में आप कभी सोच भी नहीं सकते। जिन दिनों हम गुजरात से निकल रहे थे गुजरात के विधानसभा चुनाव चल रहे थे 2017 में महाराष्ट्र से गुजरात में हमने जब प्रवेश किया शाम हो गई थी और पहाड़ पर चढ़कर हमने 10 बजे रात को मुकाम पर पहुंचे वहां के अधिकारी साथ थे अब मैं आपको बताना चाहता हूँ उन जंगलों में गुजरने के लिए न रास्ता था न ठहरने की कोई व्यवस्था थी। एक फॉरेस्ट ऑफिसर साहब मेरे पास आये और कहा कि फला-फला हूँ और आपको अश्चर्य होगा उस अधिकारी ने कहा कि श्री अमित शाह जी के निर्देश है कि हम आपका पूरा सहयोग करें और उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा के दौरान उन्हें कोई भी दिक्कत नही आनी चाहिए।
उसके बाद हमारे लिए पहाड़ काट कर रास्ते बनाये गए और परिक्रमावासियों के लिए रहने खाने की व्यवस्था की गई। श्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि जबकि उनकी श्री अमित शाह जी से वन टू वन कोई मेल मुलाकात नही है। लेकिन हमने उन्हें धन्यवाद भेजा और आभार व्यक्त किया। यही एक राजनीतिक समन्वय, सामंजस्य और मित्रता का प्रमाण है जिसको हम कभी कभी भूल जाते हैं। पूर्व सीएम ने परिक्रमा में साथ चलने वाले उन साथियों को भी याद किया जो अब इस दुनिया में नही हैं। श्री सिंह ने अंत में ओपी शर्मा को बधाई दी।
पुस्तक विमोचन के इस गरिमामय कार्यक्रम का मंच संचालन श्रीमती करिश्मा प्रधान देवेंद्र ने किया। पुस्तक के प्रकाशक श्री पंकज सुबीर ने सभी अतिथियों को सम्मान स्वरूप पुस्तक भेंट की।