मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक और पर्यटन नगरी खजुराहो में अब एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ सकती है। भारतीय वायुसेना का विशाल एयरबेस। हाल ही में एयरफोर्स और रक्षा मंत्रालय की संयुक्त टीम ने यहां ज़मीन का विस्तृत सर्वे किया है, और अब तक सभी तकनीकी और भौगोलिक पहलू इस जगह के अनुकूल पाए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, अगर आने वाले दिनों में प्रशासनिक औपचारिकताएँ भी सहज रहीं, तो ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो सकती है। यह कदम न केवल खजुराहो बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के लिए एक बड़ी सौगात साबित होगा।
100 एकड़ में फैलेगा एयरबेस परिसर
खजुराहो एयरपोर्ट के पास लगभग 100 एकड़ जमीन इस नए एयरबेस के लिए चिन्हित की गई है। इतना बड़ा क्षेत्र उच्च क्षमता वाले रनवे, आधुनिक हैंगरों, रखरखाव केंद्रों और सैन्य विमानों के बेड़े को समायोजित करने के लिए पर्याप्त है। यहां फाइटर जेट्स और ट्रांसपोर्ट विमानों की तैनाती की योजना बनाई जा रही है, जो न सिर्फ सामरिक दृष्टि से रणनीतिक होगी, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के नए अवसर भी खोलेगी।
रणनीतिक रूप से क्यों खास है खजुराहो
भारतीय वायुसेना ने मध्य भारत में चार प्रमुख स्थानों—ग्वालियर, खजुराहो, झांसी और इलाहाबाद (प्रयागराज)—का निरीक्षण किया था। इन सभी विकल्पों में से खजुराहो को सबसे उपयुक्त माना गया। इसका कारण है इसका भौगोलिक संतुलन, सुरक्षा के लिहाज़ से सीमित संवेदनशीलता, और देश के मध्य में स्थित होने के कारण आपातकालीन ऑपरेशन के लिए तेज प्रतिक्रिया क्षमता। खजुराहो का भौगोलिक स्थान उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक सटीक कड़ी बनाता है, जिससे वायुसेना को मध्य भारत में अपनी चौकसी को और मजबूती देने का मौका मिलेगा।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी आवश्यकता
हाल के ऑपरेशन सिंदूर ने स्पष्ट कर दिया कि देश के बीचोंबीच एक नया, हाई-कैपेसिटी एयरबेस होना बेहद जरूरी है। लगातार बढ़ती रणनीतिक चुनौतियों और तेज़ एयर-मोबिलिटी की जरूरत को देखते हुए, वायुसेना को ऐसे केंद्र की तलाश थी जहां से वो केंद्रीय भारत के सभी दिशाओं में शीघ्र कार्रवाई कर सके। इस दृष्टिकोण से खजुराहो ने पूरी तरह सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। शुरुआती सर्वे रिपोर्ट्स भी उत्साहजनक हैं।
स्थानीय विकास की संभावना
एयरबेस बनने के बाद खजुराहो और आसपास के जिलों में रोजगार के नए अवसर, बेहतर सड़क और रेल कनेक्टिविटी, और सेना से संबंधित सहायक उद्योगों का भी तेजी से विकास होगा। पर्यटन नगरी होने के कारण यह क्षेत्र पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है, और अब यहां एक मजबूत रक्षा प्रतिष्ठान बनने से उसकी आर्थिक और रणनीतिक अहमियत और भी बढ़ जाएगी।