बदलती जीवनशैली, बढ़ते स्क्रीन टाइम और आंखों पर लगातार बढ़ते दबाव के चलते आज बड़ी संख्या में लोग नजर से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। ऐसे समय में इंदौर के रोहित आई हॉस्पिटल ने नेत्र उपचार के क्षेत्र में एक आधुनिक और भरोसेमंद विकल्प प्रस्तुत किया है। हॉस्पिटल में अत्याधुनिक वेवलाइट प्लस इनोवआइज़ तकनीक के माध्यम से लेसिक सर्जरी की जा रही है, जिसके तहत अब तक केवल पांच महीनों में 100 से अधिक सफल ऑपरेशन किए जा चुके हैं।
वेवलाइट प्लस इनोवआइज़ तकनीक को पारंपरिक लेसिक की तुलना में कहीं अधिक एडवांस और सटीक माना जाता है। इस तकनीक में मरीज की आंखों का अत्यंत बारीकी से डिजिटल मैप तैयार किया जाता है, जिसमें कॉर्निया की मोटाई, आंखों की संरचना और दृष्टि से जुड़ी सूक्ष्म जानकारियों को ध्यान में रखकर पूरी तरह पर्सनलाइज्ड उपचार किया जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि ऑपरेशन के बाद नजर अधिक स्पष्ट, प्राकृतिक और स्थिर महसूस होती है।
इस तकनीक की एक बड़ी विशेषता यह भी है कि सर्जरी के बाद 70 से 80 प्रतिशत मरीजों को “सुपर विज़न” प्राप्त होती है, यानी सामान्य इंसानी नजर से भी बेहतर दृष्टि। साथ ही वेवलाइट प्लस तकनीक में ग्लेयर और हैलोज़ की समस्या पारंपरिक लेसिक की तुलना में काफी कम देखी जाती है, जिससे मरीजों को रात में ड्राइविंग और तेज रोशनी में देखने में अधिक आराम मिलता है।
इस तकनीक के तहत सर्जरी का समय भी कम होता है और मरीजों को लंबे समय तक आराम करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। अधिकतर मरीज कुछ ही घंटों में अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट आते हैं। आंखों में जलन, सूखापन या असहजता जैसी समस्याएं भी पारंपरिक लेसिक की तुलना में काफी कम होती हैं, जिससे मरीजों में इस तकनीक को लेकर तेजी से विश्वास बढ़ रहा है।
रोहित आई हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर एवं वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. ओ. पी. अग्रवाल ने बताया कि हॉस्पिटल का उद्देश्य हमेशा यह रहा है कि इंदौर और आसपास के क्षेत्रों के मरीजों को महानगरों और विदेशों जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं यहीं उपलब्ध कराई जाएं। वेवलाइट प्लस इनोवआइज़ तकनीक इसी सोच का परिणाम है, जिससे अब मध्य भारत के मरीजों को बेहतर इलाज के लिए दूर जाने की आवश्यकता नहीं रही।
इस अवसर पर कैटरैक्ट एवं लैसिक सर्जन डॉ. पलक अग्रवाल ने बताया कि वेवलाइट प्लस तकनीक से की जाने वाली लैसिक सर्जरी पूरी तरह सुरक्षित, वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित और अत्यंत सटीक है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की आंखों की बनावट अलग होती है, ऐसे में यह तकनीक मरीज की आंखों का विस्तृत डिजिटल मैप तैयार कर उसी के अनुसार इलाज को कस्टमाइज़ करती है। ऑपरेशन के बाद मरीजों में दृष्टि सुधार के साथ संतुष्टि का स्तर भी बेहद ऊँचा देखने को मिल रहा है।
रोहित आई हॉस्पिटल के विट्रियो-रेटिना, यूविया एवं आर.ओ.पी. विशेषज्ञ डॉ. रोहित अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में यह तकनीक सेंट्रल इंडिया में केवल रोहित आई हॉस्पिटल में ही उपलब्ध है। विदेशों में इसी तकनीक से इलाज कराने पर जहां भारत की तुलना में लगभग 4-5 गुना अधिक खर्च आता है, वहीं इंदौर में यह सुविधा अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता के साथ कहीं अधिक किफायती दरों पर उपलब्ध कराई जा रही है। डॉ. पलक अग्रवाल देश की पाँचवीं सर्जन हैं, जो इस अत्याधुनिक तकनीक को मध्य भारत में सबसे पहले लेकर आईं, और वर्तमान में यह सुविधा रोहित आई हॉस्पिटल में उपलब्ध है, जिसके परिणाम सकारात्मक रूप से देखने के मिल रहे हैं।”
वेवलाइट प्लस इनोवआइज़ तकनीक ने इंदौर के साथ-साथ आसपास के जिलों और राज्यों से आने वाले मरीजों के लिए भी नई उम्मीद जगाई है। लगातार बढ़ती सफल सर्जरी की संख्या और मरीजों के सकारात्मक अनुभव इस बात का प्रमाण हैं कि यह तकनीक नेत्र उपचार के क्षेत्र में एक सुरक्षित, आधुनिक और भरोसेमंद विकल्प के रूप में तेजी से अपनी पहचान बना रही है।









