राज्य सहकारिता लेखा समिति द्वारा सहकारी संस्थाओं के संचालक मंडल को भी बनाया जवाबदेह

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जनवरी में दिनांक 24.01.2024 से 25.01.2024 को राज्य स्तरीय सहकारी लेखा समिति की बैठक हुई थी। इस बैठक में म.प्र. सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 61 के तहत सहकारी संस्थाओं के अंकेक्षण आपत्तियों के समाधान के लिए चर्चा की गई है। यह बैठक संजय दलेला, संयुक्त आयुक्त अंकेक्षण की अध्यक्षता में की गई है।

भोपाल में हुई लेखा समिति की इस बैठक में कुल 48 संस्थाओं के अंकेक्षकों तथा प्रबंधक / पदाधिकारियों को समीक्षा हेतु बुलाया गया था जिसमें से 38 अंकेक्षक तथा 35 प्रबंधक या पदाधिकारी मौजूद हुए। इस बैठक में पदाधिकारियों के बीच विचार विमर्श कर निम्नानुसार निर्देश दिये गये:

1. म.प्र.सहकारी समितियां अधिनियम 1960 की धारा 61(2) के अनुसार अनुपलना प्रतिवेदन 60 दिवस के भीतर प्रस्तुत करना अनिवार्य है, तथा धारा 61(3) के अन्तर्गत निर्धारित समय सीमा में अनुपालना प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तो संबंधित संस्था के विरूद्ध रुपये 50,000/- से अधिक की शास्ति अधिरोपित करने का प्रावधान है।

2. पिछली बैठक में यह निर्देश दिया गया है कि अनुपालन रिपोर्ट पर ऑडिटर की राय दर्ज करते समय, यदि ऑडिटर संगठन द्वारा प्रस्तुत संकल्प से सहमत नहीं है, तो ऑडिटर को कारण बताते हुए एक उचित नोट लिखने के परिपत्र निर्देश हैं। जिस पर बैठक में अप्रसन्नता व्यक्त की गयी तथा निर्देश दिये गये कि परिपत्र निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन किया जाये अन्यथा पालन प्रतिवेदन स्वीकार नहीं किया जायेगा।

3. प्रत्येक संस्था में संचालक मंडल के सदस्यों में से एक लेखा उपसमिति का गठन किया जाये जिसके द्वारा निरंतर रूप से आक्षेपों की समीक्षा की जायें। किन्तु बैठक में समीक्षा के दौरान यह परिलक्षित हुआ कि संस्थाओं में उपसमितियों का गठन नहीं किया गया है। अतः आगामी लेखा समिति की बैठक के पूर्व उपसमितियों का गठन अनिवार्य रूप से किया जाए।

4.अधिकांश संस्थानों में अपूर्ण बैंक समाधान, कई वर्षों के ऋण एवं देनदारियों का निपटारा नहीं होने, अनुदान राशि का समायोजन नहीं होने आदि आरोपों पर कार्रवाई नहीं होने के कारण शेष आपत्तियां अनसुलझी दिख रही हैं। एवं संस्थाओं में बैंक समाधान एवं लेखांकन मिलान नहीं होने के कारण वित्तीय अनियमितता एवं गबन के मामले प्रकाश में आये हैं जिसमें संबंधित के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करायी गयी है। दर्ज करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन निर्देशानुसार कोई कार्रवाई नहीं की गयी और न ही मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी गयी, जिस पर बैठक में वरीय पदाधिकारी ने नाराजगी जतायी और तत्काल कार्रवाई कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया।

5.लेखा समिति की पूर्व समीक्षा बैठक में निर्देश दिये गये थे कि एक वर्ष से अधिक की ऋणग्रस्तता के विरुद्ध सिंकिंग फंड में प्रावधान करने के निर्देश का पालन किया जाये, लेकिन बैठक में समीक्षा के दौरान पाया गया कि संस्था स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। निर्देशानुसार तत्काल कार्यवाही की जाये।

6. कुछ शीर्ष संस्थाओं में मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के विभाजन के समय की बकाया राशि की प्रविष्टियाँ आज भी वित्तीय पत्रक में ऋण मद में दर्शाई जा रही हैं, जिनकी वसूली हेतु न्यायालयीन कार्यवाही करना आवश्यक है। तुरंत कार्यवाही शुरू की जाए।

7. निर्देश दिया गया कि योजनावार प्राप्त राशि का उपयोग निर्धारित समय सीमा के अंदर कर लिया जाये, प्रमाण पत्र समर्पित किया जाये तथा समय पर राशि की वापसी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।

8. गत लेखा समिति की बैठक में उपस्थित संस्था प्रतिनिधियों एवं अंकेक्षकों को न्यायालय/पुलिस कार्यवाही, वित्तीय अनियमितता एवं गबन, विभागीय जांच एवं अन्य प्रशासनिक कार्यवाही के क्रम में वर्षवार निर्धारित प्रारूप में अनुपालन प्रतिवेदन में आपत्तियों को सम्मिलित करने हेतु भी निर्देशित किया गया था। विवरण तैयार कर अनुपालन आख्या के साथ गोसवारा में जमा करने के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है. निर्देशानुसार तत्काल कार्यवाही की जाये।

9. बैठक में अंकेक्षकों को यह भी निर्देश दिये गये कि संस्था के नवीन अंकेक्षण आवंटन से पूर्व संस्था की अनुपालन रिपोर्ट पर पिछले वर्ष के अंकेक्षक द्वारा अनुपालन टिप्पणी प्रस्तुत की जाये तथा संस्थान की अंकेक्षण रिपोर्ट भी अनिवार्य रूप से प्रस्तुत की जाये। पिछले वर्षों की लंबित लेखापरीक्षा टिप्पणियों का उल्लेख करें। इसे संलग्न किया जाए ताकि लेखा समिति की बैठक में समीक्षा के समय सभी लंबित आपत्तियों की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सके।

10. जिन शाखाओं से अंकेक्षक उपस्थित नहीं हैं, उनके संबंध में कार्रवाई करने के लिए संबंधित संयुक्त आयुक्त को अर्धशासकीय पत्र के माध्यम से अलग से निर्देश जारी किये जा रहे हैं।

11. भोपाल दुग्ध संघ लिमिटेड, भोपाल के वर्तमान अधिकारी एवं प्रभारी लेखा परीक्षक को संघ के वर्ष 1999 से वर्तमान 1365 तक लंबित प्रकरणों की जानकारी म.प्र. राज्य सहकारी बैंक 38, म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ मुख्यालय 551, म.प्र. राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक 290, म.प्र. राज्य सहकारी गृह निर्माण संघ मर्यादित भोपाल 238, मध्य प्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ एवं अन्य शीर्ष सहकारी संस्थाओं की लंबित धाराओं पर आपत्तियों के रिकार्ड के आधार पर प्रभारी लेखा परीक्षक से अभिमत दर्ज कर प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया। एक माह की समय सीमा।

12. बैठक में अनुपस्थित संस्था प्रतिनिधि एवं प्रभारी अंकेक्षक को अपना लिखित स्पष्टीकरण मुख्यालय में जमा करने का निर्देश दिया गया।