TATA Surname History: रतन को कैसे मिली टाटा की उपाधि…ये है पूरी कहानी

Meghraj
Published on:

TATA Surname History: 86 वसंत ऋतुओं के सफर के साथ, मशहूर उद्योगपति रतन टाटा ने हमेशा अपनी मुस्कान और संयमित जीवनशैली के लिए पहचान बनाई। 9 अक्टूबर की रात करीब 11 बजे, उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। रतन टाटा के पिता का नाम नवल टाटा था, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि नवल टाटा से पहले उनके किसी भी बुजुर्ग का ‘टाटा’ नाम से कोई संबंध नहीं था। यह परिवार तब सफल हुआ जब नवल टाटा 13 साल के थे और एक अनाथालय में पढ़ाई कर रहे थे।

जन्म और परिवार का पृष्ठभूमि

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को नवल टाटा के घर हुआ। नवल टाटा टाटा संस समूह के विमानन प्रभाग के सचिव थे, और उनके जन्म के दो साल बाद वे टाटा मिल्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक बन गए। उनके पिता, होर्मुसजी, उस समय टाटा समूह की एडवांस्ड मिल्स में कताई मास्टर थे, लेकिन उनका टाटा परिवार से कोई संबंध नहीं था।

नवल टाटा का कठिन बचपन

नवल टाटा का जन्म 30 अगस्त, 1904 को हुआ था। उनके पिता की मृत्यु 1908 में हो गई, जब नवल चार साल के थे। इसके बाद, परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा, और नवल और उनकी माँ मुंबई से गुजरात के नवसारी चले गए। उनकी माँ ने कपड़ों पर कढ़ाई करने का काम शुरू किया ताकि परिवार का गुजारा चल सके।

अनाथालय में नया जीवन

नवल को जेएन पेटिट पारसी अनाथालय भेजा गया, जहाँ उन्होंने अपनी पढ़ाई की। 1917 में, नवाजबाई, सर रतन टाटा की पत्नी, ने नवल को गोद लिया। इस प्रकार, नवल ने टाटा परिवार में प्रवेश किया और ‘नवल टाटा’ के रूप में जाने जाने लगे।

टाटा समूह में शामिल होना

26 वर्ष की उम्र में, नवल टाटा ने टाटा समूह में प्रवेश किया। बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में स्नातक करने के बाद, उन्होंने लंदन में अकाउंटिंग की पढ़ाई की। 1930 में, वह टाटा संस में क्लर्क-सह-सहायक सचिव के रूप में शामिल हुए और जल्द ही प्रगति की।

पदोन्नति और सफल करियर

नवल टाटा ने 1933 में विमानन विभाग में सचिव और फिर कपड़ा इकाई में कार्यकारी का पद संभाला। 1939 में उन्हें टाटा मिल्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया, और 1941 में टाटा संस के निदेशक बने।

समाज सेवा में योगदान

1965 में नवल टाटा ने सर रतन टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष का पद ग्रहण किया और अपने जीवन के अंत तक समाज सेवा के कार्यों में जुड़े रहे। उन्होंने अपने अतीत को याद करते हुए कहा, “मुझे गरीबी के दर्द का अनुभव करने का अवसर देने के लिए मैं भगवान का आभारी हूं। यह अनुभव मेरे चरित्र को आकार देने में सहायक रहा।”

व्यक्तिगत जीवन

नवल टाटा की दो शादियाँ हुईं। उनकी पहली पत्नी सुनी कमिश्रिट थीं, जिनसे उनके दो बेटे, रतन टाटा और जिमी टाटा, हुए। बाद में, 1955 में उन्होंने स्विस बिजनेसमैन सिमोन से विवाह किया, जिससे उनके बेटे नोएल टाटा का जन्म हुआ। नवल टाटा कैंसर से पीड़ित रहे और 5 मई 1989 को मुंबई में उनका निधन हो गया।

रतन टाटा का जीवन और उनके परिवार की कहानी प्रेरणादायक है। नवल टाटा की यात्रा, संघर्ष और सफलता ने न केवल टाटा परिवार को बल्कि टाटा समूह को भी एक नया दिशा दी, जिससे वे आज भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक बन गए।