मौत को गले लगाना छोड़ो…जिंदगी की अहमियत से नाता जोड़ो…

Shivani Rathore
Published on:

प्रखर वाणी

युवाओं में बढ़ती निराशा ने फांसी की घटनाएं बढ़ा दी है…देश की बहुमूल्य सम्पत्ति को अवसाद ने सलीब पर चढ़ा दी है…देश में साल 2022 में एक लाख इकहत्तर हजार लोगों ने आत्महत्या की है…दुनियां के सर्वाधिक आंकड़े की बददुआ हमने ली है…इनमें भी 41 फीसदी युवा तो 30 वर्ष से भी कम आयु के हैं..

इनके विचार और सोच बेशक गर्म जलवायु के हैं…दुनिया के प्रोत्साहक खोज रहे आत्महत्या का निवारण है…मानसिक अस्वस्थता व प्रेम में विफलता इसका बड़ा कारण है…देश के कोने कोने में आत्महत्या की घटनाएं जब जब बड़ी है…शैक्षणिक तनाव और सामाजिक – आर्थिक समस्याएं उनके पीछे खड़ी है…नशा बनता शान और फिर उससे व्यथित अभिमान भी आत्महत्या की वजह हो सकता है…घरेलू हिंसा से उच्च तनाव की व्याधि में भी इंसान आत्महत्या के बीज बो सकता है…कारण जो भी हो ज़िन्दगी इतनी आसान नहीं है…

आत्महत्या ज़िन्दगी की व्यथा का समाधान नहीं है…जीवन में संघर्षों की तपिश कुंदन सी चमक देती है…मनोरंजक हास्य और ख़ुशमिजाजी जीने की चाह में खनक देती है…छोटी छोटी बात पर जो इहलीला समाप्त कर देते हैं वो कायर हैं…चलती का नाम गाड़ी नहीं जो दौड़ पड़े जिंदगी वही तो सफलता का फायर है…गरीबी , बेरोजगारी , भेदभाव , सामाजिक बहिष्कार , पारिवारिक तनाव तो आने जाने हैं…इनसे जूझकर जिसने मुकाबला किया असल में वो ही जिंदगी को पहचाने हैं…

इंटरनेट और चेट से चिढ़कर जो अपनी खुद बलि चढ़ा देते हैं…वो फ़िजूल के चक्कर हैं जो दिनरात लेपटॉप में आंख गढा देते हैं…भारत में मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं ने 54 फीसदी आत्महत्याओं का दामन थामा है…मनः स्थिति की प्रतिकूलता ने क्षण भर का धैर्य नहीं रखा और पहना दिया मौत को अमली जामा है…आत्महत्या एक समस्या ही नहीं ये तो एक व्याधि है…

छोटे छोटे मामलों से रूष्ट लोगों की बन गई समाधि है…इस सामाजिक रोग को मिटाना भी एक चुनौती है…इसके अंजाम से दुखी लोगों की आंखें हर अवसरों पर उनकी याद में भिगोती है…आत्महत्या का सबसे बड़ा समाधान संवादहीनता की कमी को पाटना है…प्यार से भावना को समझना है ना कि ऐसे दुखियों को डांटना है…बातचीत के जरिये नौजवान शक्ति को भी देश की मुख्यधारा में लाया जा सकता है…उनको उनके कदम से होने वाले पारिवारिक क्षय के बारे में समझाया जा सकता है…

सफलता का दबाव नहीं आत्मविश्वास बढाना भी इस समस्या का समाधान है…अपनों की ही चुभने वाली बातें आत्महत्या से मुक्ति में व्यवधान है…जीवन शैली में बदलाव हो और न अवसाद हो तथा न ही तनाव हो…जिंदगी अनमोल है उसको हंसी खुशी से जीने हेतु मन में चाव हो…आत्महत्या से ही सबकुछ हासिल नहीं होता ये तो उल्टा तकलीफों की जड़ होती है…तिल तिल कर होम करती ज़िन्दगी को आत्महत्या बारूद से फोड़ने वाली लड़ होती है…इसलिए मौत को गले लगाना छोड़ो…ज़िन्दगी की अहमियत से नाता जोड़ो।