असंतोष की आग और सेबोटेज के शोलों के बीच शिव का चुनावी मिशन

Suruchi
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राघवेंद्र सिंह

दमोह उपचुनाव में भाजपा की करारी शिकस्त, बात पुरानी है लेकिन उसकी चर्चा के बिना मध्य्प्रदेश के उप चुनाव का रण समझ में शायद कम आए। मई के महीने में भितरघात और असंतोष की आग में जलभुन रही भाजपा के राहुल सिंह लोधी को कांग्रेस के अजय टण्डन ने 17 हजार 28 वोट के भारी अंतर से हराया था। राहुल बतौर विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे। राहुल ने कहा कि जो कहते थे भाजपा उनकी मां है और वे मां से गद्दारी नही कर सकते, उन्होंने ही पूरी ताकत से बेईमानी की। लम्बे समय बाद भाजपा कोई उपचुनाव इस तरह हारी थी। दिल समझाने के लिए कार्रवाई के तौर पर नोटिस और निलंबन की खानापूर्ति अलबत्ता की गई थी।

लाजमी है इसका सदमा भी पार्टी को लगा और उससे सबक लिया होगा। इसके चलते अब असंतोष की आग को बुझाने और सेबोटेज के शोलों को ठंडा करने का काम संगठन के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने गणों के साथ अपने हाथ में लिया है। चार उपचुनाव – खंडवा लोकसभा सीट के साथ रैगांव, पृथ्वीपुर और जोबट को जीतने की जंग जारी है। इन उपचुनावों में बहुजन समाज पार्टी की अनुपस्तिथि ने भाजपा के लिए कठिन बना दिया है। रैगांव व पृथ्वीपुर में में कमज़ोर वर्ग के करीब सात से ग्यारह प्रतिशत वोट बहुजन समाज पार्टी के खाते में जाते रहे हैं। भाजपा में सारा दारोमदार संगठन की चतुराई, चुनाव प्रबंधन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की लोकप्रियता पर निर्भर है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत भी मिलजुल कर कमान सम्हाले हुए हैं।  शर्मा चुनाव अभियान में मुख्यमंत्री की भांति हवाई यात्राएं कर रहे हैं।

प्रदेश के चारों उपचुनावों में सीटों का गणित 50-50 है। दरअसल विधानसभा की तीन सीटों में पृथ्वीपुर और जोबट कांग्रेस के खाते की है और विंध्य क्षेत्र की रैगांव सीट भाजपा की है। यहां से पूर्व मंत्री भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद उनके परिवार के बेटे पुष्पराज और बहु वंदना देवराज बागरी के बीच टिकट पाने की गलाकाट गुटबाजी थी। पार्टी ने यहां बीच का रास्ता अपनाया और बेटे बहु को टिकट देने के बजाए प्रतिमा बागरी को टिकट दिया है। भाजपा के सामने यहां सेबोटेज को रोकना सबसे कठिन काम है। इसके लिए संगठन के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रभारी मंत्री के साथ भरोसेमंद नेताओं को इसका जिम्मा सौंपा है। इसमें पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला सबसे अहम किरदार माने जा रहे हैं।

इसी तरह पृथ्वीपुर में प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव के साथ मंत्रीगणों में विश्वास सारंग, अरविंद भदौरिया व प्रभुराम चौधरी सहित संगठन में सक्षम लाल सिंह आर्य जैसे नेताओं को मोर्चे पर लगाया है। जोबट में प्रभारी मंत्री के साथ वनवासी क्षेत्र में काम करने वाले नेताओं को सक्रिय किया गया है। यहां कांग्रेस से आईं भाजपा प्रत्याशी सुलोचना रावत की मतदाताओं में गहरी पैठ का भी पार्टी को लाभ मिलेगा।लेकिन यहां भाजपा के असंतोष का सुलोचना रावत को सामना करना पड़ रहा है। यहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया भाजपा को हराने में पूरी ताकत लगा रहे हैं।

हालांकि यहां कांग्रेस की दिवंगत विधायक कलावती भूरिया के भतीजे दीपक भूरिया टिकट नही मिलने के कारण असंतुष्ट हैं। भाजपा इस असंतोष का लाभ लेने की जुगत में है। खंडवा लोकसभा सीट पर भाजपा ने संगठन के नेताओं के अतिरिक्त मंत्रियों की तैनाती भी की है। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह रोज़ाना रात में आठ से बारह बजे के बीच चुनाव क्षेत्र में तैनात मंत्रियों से फोन व वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए चर्चा कर रहे हैं। उनका ज़ोर स्थानीय विकास के साथ असंतुष्ट और भीतर घात करने वाले नेता व कार्यकर्ताओं को पार्टी की मुख्य धारा में लाकर सक्रिय करना है।

नाथ के बाद दिग्विजय सिंह का इंतज़ार

उपचुनाव में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ के बाद कांग्रेस को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का सक्रिय होने का इंतज़ार है।  सिंह 22 से 27अक्टूबर तक चुनाव प्रचार में उतर रहे हैं। भाजपा उनकी रणनीति पर भी नज़र रखेगी। सबको पता है मैदानी जमावट और कार्यकर्ताओं से दिग्विजय सिंह के आत्मीय रिश्ते चुनाव के गणित को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। पिछले आम चुनावों में भी दिग्विजय सिंह की संगठन क्षमता का सबने लोहा माना था।

कमलनाथ के मैदान में आने पर बढ़ेगी शिव की सक्रियता

प्रदेश में चार उपचुनाव को लेकर धीरे धीरे सधे कदमों से भाजपा बढ़त बनाने की कोशिश में है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दौरे से भाजपा उत्साहित है। अगले सप्ताह से सीएम की सभाओं का जाल बुना जाएगा। चुनाव प्रबन्धन के नजरिए से भाजपा स्तिथि बेहतर करने में लगी है। कांग्रेस खेमा मतदान के करीब दस दिन पहले मोर्चा जमाएगा। अभी कमलनाथ और फिर कार्यकर्ताओं की जमावट के लिए दिग्विजय सिंह मैदान में आएंगे। भाजपा और कांग्रेस अभी तक एकदूसरे के असंतुष्टों पर नजर लगाए हुए हैं। हॉकी और फ़ुटबॉल के खेल की तरह एक दूसरे के खिलाड़ियों को कवर कर विरोधी पाले में आक्रमण की रणनीति पर काम किया जा रहा है। अभी तक तो दोनों ही दल कमजोर कड़ी की तलाश कर मौके पर चोट करने की नीति पर नजर गड़ाए हैं।

उज्जैन के बाद आगर मालवा में देश भक्ति को लेकर तनाव

मध्यप्रदेश में मालवा और निमाड़ लंबे अरसे से साम्प्रदायिक हिंसा से लेकर आतंक से जुड़े प्रतिबंधित संगठन सिमी की सक्रियता के लिए बदनाम रहा है। कुछ महीने पहले उज्जैन में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगे थे तो आगर मालवा के बडौद में महावीर स्कूल में 12 अक्टूबर को वंदे मातरम और भारत माता की जय न बोलने पर विवाद हुआ। बात इतनी बढ़ी की बात हत्या करने की धमकी तक दे दी गई। भारत माता की जय कहने वालों पर कसाई मोहल्ले से गुजरने पर हमला भी किया गया। घटना की थाने में शिकायत की गई। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालात बिगड़ते उसके पहले पुलिस सक्रिय हुई और बड़ी संख्या पुलिस बल तैनात कर दिया गया। उज्जैन की भांति कड़ी कार्रवाई की दरकार है। उज्जैन में पाक के समर्थन में नारे लगाने वालों की अवैध बस्ती नेस्तनाबूत कर दी गई थी।

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