सावन मास की कृष्णपक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) भी कहा जाता है। सावन के महिने में पर्याप्त वर्षा से धरती पूरी तरह से हरियाली से आच्छादित रहती है, इसलिए भी इस अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। इस बार यह हरियाली अमावस्या 27 जुलाई (July) को रात 09 बजकर 10 मिनट से प्रारम्भ होकर अगले दिन यानी गुरुवार, 28 जुलाई को रात 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। विशिष्ट संयोगों के निर्माण से इस वर्ष की हरियाली अमावस्या और भी अधिक महत्वपूर्ण होने जा रही है।
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हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण की है परंम्परा
सावन के पवित्र महीने के दौरान आने वाली हरियाली अमावस्या पूरी तरह से प्रकृति को समर्पित है। सत्य सनातन धर्म में हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण का विशेष महत्व माना गया है। अपने इष्ट और पूर्वजों के नाम से इस दिन वृक्षारोपण करने से प्रकृति की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही आज के दिन पीपल, तुलसी, बरगद, आंवला आदि पूजनीय वृक्षों की आराधना का प्रावधान है, जिसमें आप इन पवित्र वृक्षों को जल और श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते हैं। इसके साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती का सात्विक विधि विधान से पूजन करने की भी हरियाली अमावस्या पर परम्परा है।
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बन रहे हैं शश,रुचक और हंस राजयोग
प्रकृति के संवर्धन का प्रतीक हरियाली अमावस्या वैसे तो प्रत्येक वर्ष ही विशेष होती है , परन्तु इस वर्ष तीन प्रमुख राजयोगों के निर्माण से हरियाली अमावस्या और भी विशिष्ट होने जा रही है। ये तीन शुभ राजयोग हैं-शश, रुचक और हंस राजयोग। भारतीय पंचाँग के अनुसार ये तीनों राजयोग अत्यंत ही शुभ फलदायक हैं। देव गुरु बृहस्पति, न्यायकारी शनिदेव और कल्याणकारी मंगल के विशिष्ट संयोग से इन तीन शुभ राजयोगों का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही गुरुकृपा स्वरूप गुरु पुष्य योग का निर्माण भी आज के पवित्र दिन पर हो रहा है, जोकि हरियाली अमावस्या को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।