The Kashmir Files: संत-महात्माओं ने भी देखा कश्मीर का सच, कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की उठी मांग

Piru lal kumbhkaar
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इंदौर। कश्मीरी पंडितों पर जुल्म और अत्याचारों का सच तीन दशक बाद देश-दुनिया के सामने लाने वाली फिल्म “द कश्मीर फाइल्स” (The Kashmir Files) को देखने आज बड़ी संख्या में इंदौर शहर के संत, महात्मा और बटुक भी पहुंचे। इस शुभ संकल्प को व्यवहार में लाने का माध्यम बने भाजपा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी एवं पार्षद दीपक जैन (टीनू)। फिल्म के दौरान अनेक अवसरों पर आंसुओं के साथ आक्रोश ने भी मुखर प्रतिक्रिया दर्ज करवाई।

टीनू जैन ने बताया कि कश्मीर की सच्चाई जिस रूप में सामने आई है, उसका व्यापक प्रचार प्रसार अब बहुत आवश्यक हो गया है। इस पवित्र उद्देश्य के साथ की हिंदुओं पर किया गया यह अत्याचार अब जन-जन के मन में अमिट रूप से दर्ज होना चाहिए। जन जागरूकता के प्रयास भी इस स्तर के हों कि अब हिंदुस्तान में ऐसा दुस्साहस कोई ना कर पाए।

टीनू जैन ने बताया कि हमने 300 से अधिक संत-महात्माओं, बटुकों और भाजपा कार्यकर्ताओं को फिल्म दिखाने की व्यवस्था की थी। हाथों में भगवा झंडा और तिरंगे के साथ भारतमाता और श्यामाप्रसाद जी मुखर्जी का चित्र लेकर देशभक्ति के नारे लगाते यह बड़ा जत्था रैली के रूप में एयरपोर्ट रोड स्थित मल्टीप्लेक्स पहुंचा।

इस अवसर पर उपस्थित पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता ने बताया कि फिल्म में तर्क और तथ्य के साथ यह दर्शाया गया है कि किस तरह की परिस्थितियां उस समय कश्मीरी पंडितों के साथ थी। कैसे कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में आग लगाई गई! ऐसी विषम परिस्थितियों के बाद ही मजबूर होकर व्यापार-व्यवसाय छोड़, पलायन के लिए विवश होना पड़ा!

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फ़िल्म देखने आए संत महात्माओं ने कहा कि अत्याचार के चलते कश्मीर के पंडितों को अपनी विरासत, अपना काम छोड़कर अपनी ही कर्मभूमि से दूर जाना पड़ा! पहली बार इस  सत्य को वास्तविक रूप में इस फ़िल्म में दिखाया गया है। बड़ी विडंबना यह भी है कि अपने ही देश में, अपने घर-परिवार और संपत्ति छोड़कर पलायन को मजबूर कश्मीरी पंडितों की सच्चाई देश के सामने आने में तीन दशक लग गए!

संतों ने कहा कि समाज को यह बताना बहुत जरूरी है कि इतिहास में किस तरह की गलतियां हुई हैं। यह मात्र एक फिल्म नहीं है और ना ही इसे मनोरंजन की दृष्टि से देखा जाना चाहिए! यह फिल्म उन अत्याचारों का जीता जागता दस्तावेज है, जो कश्मीरी पंडितों ने जीते जी भोगा है!

फिल्म प्रदर्शन के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए दीपक जैन “टीनू” ने बताया कि इस फिल्म दिखाने का उद्देश्य केवल इतना ही है कि यदि अब किसी एक कश्मीरी पंडित के खिलाफ किसी तरह का अत्याचार होता है, तो 130 करोड़ भारत के सपूत उसके साथ खड़े हों!

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इस अवसर महामंडलेश्वर डॉ चेतन स्वामी जी, महामंडलेश्वर राधे राधे बाबा, महामंडलेश्वर लक्ष्मण दास जी महाराज, श्री अन्ना महाराज, दादू जी महाराज, प.दिनेश शर्मा (विद्याधाम) संस्कृत पाठशाला के प्राचार्य प. दिलीप मिश्रा जी, हंसदास मठ के प्रमुख पवन शर्मा जी, कबीर पंथी सन्त बालक दास जी, विजयराम दास जी, सहित बड़ी संख्या में विद्याधाम, संस्कृत पाठशाला, हंसदास मठ के बटुक और वार्ड 6 के कार्यकर्ता उपस्थित थे।