गुड़ी पड़वा क्यों मनाते हैं लोग? जानें क्या है परंपरा और महत्व

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By Deepak MeenaPublished On: March 31, 2024

Gudi Padwa 2024 : गुड़ी पड़वा हिंदुओं का नव वर्ष है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। यह दिन न केवल नव वर्ष का प्रतीक है, बल्कि वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है।

इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं और गुड़ी नामक एक विशेष ध्वज फहराते हैं। गुड़ी में एक लकड़ी की डंडी होती है जिसके ऊपर नीला कपड़ा बांधा जाता है और उसके ऊपर तांबे का बर्तन, नीम की पत्तियां, आम के पत्ते और गुड़ की डली बांधी जाती है। लोग इस दिन विशेष भोजन बनाते हैं, जिसमें पुरनपोली और शंकरपाळी शामिल हैं। वे एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और नव वर्ष के लिए प्रार्थना करते हैं।

मान्यताएं:

सृष्टि की रचना: पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी।

बुराई पर अच्छाई की जीत: एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध इसी दिन किया था।

नए साल की शुरुआत: गुड़ी पड़वा नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

परंपराएं:

घरों की सफाई: लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और रंगोली बनाते हैं।

गुड़ी बनाना: एक बांस की छड़ी पर रंगीन कपड़ा, नीम की पत्तियां, आम के पत्ते, गुड़ और नारियल बांधकर गुड़ी बनाते हैं।

गुड़ी फहराना: गुड़ी को घर के मुख्य द्वार पर फहराया जाता है।

भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की पूजा: लोग भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

विशेष व्यंजन: पुरण पोली, श्रीखंड, मीठे चावल (शक्कर-भात) जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं।

नए कपड़े पहनना: लोग नए कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे के घर जाते हैं।

गुड़ी पड़वा खुशियों का त्योहार है। यह नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। आइए, इस त्योहार को उत्साह और उमंग के साथ मनाएं।