Ghrishneshwar Jyotirling : भोलेनाथ का अंतिम ज्योतिर्लिंग, संतान सुख का आशीर्वाद मिलता हैं यहां

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र में स्थित भगवान शिव का एक प्रमुख स्वयंभू धाम है, जो संतान की कामना रखने वाले दंपतियों के लिए विशेष रूप से श्रद्धा और आस्था का केंद्र माना जाता है। यहां की पौराणिक कथा भक्त घुश्मा की भक्ति और शिवजी के चमत्कार से जुड़ी है।

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भगवान शिव के बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक, घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, श्रद्धालुओं के बीच विशेष महत्व रखता है। यह शिवधाम उन दंपतियों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है जो संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं।

मान्यता है कि यहां भोलेनाथ अपने भक्तों की गोद भरते हैं और निःसंतान दंपतियों को संतान सुख का वरदान देते हैं। इसलिए यहां सालभर देशभर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं।

कहां स्थित है यह शिवलिंग?

यह पावन ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में स्थित है, जो ऐतिहासिक दौलताबाद के पास बरेल गांव में स्थित है। यह मंदिर प्रसिद्ध अजंता और एलोरा की गुफाओं से कुछ ही दूरी पर है। मंदिर को घुश्मेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है, जो एक परम भक्त “घुश्मा” के नाम पर पड़ा है। यहां शिवभक्तों को एक अद्भुत शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है।

घृष्णेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा अत्यंत प्रेरणादायक और भक्तिपूर्ण है। कहा जाता है कि सुधर्मा नामक एक ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ देवगिरि पर्वत पर निवास करता था। सुदेहा संतान प्राप्त करने में असमर्थ थी। इस कारण उसने अपने पति की शादी अपनी छोटी बहन घुश्मा से करवा दी।

घुश्मा भगवान शिव की नित्य उपासक थी। वह प्रतिदिन 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती और उन्हें पास के तालाब में विसर्जित करती थी। समय के साथ घुश्मा को एक सुंदर पुत्र प्राप्त हुआ, लेकिन सुदेहा को बहन से ईर्ष्या होने लगी। एक दिन उसने क्रोधवश घुश्मा के पुत्र की हत्या कर शव को उसी तालाब में फेंक दिया।

सुबह जब यह घटना सबको पता चली, तो घर में शोक छा गया, लेकिन घुश्मा शांत रही। उसने अपने नियमित पूजन में कोई विघ्न नहीं आने दिया और रोज़ की तरह शिवलिंग का विसर्जन करने तालाब पर पहुंची।

जैसे ही घुश्मा ने शिवलिंग विसर्जित किया, भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और बालक को जीवनदान दिया। भोलेनाथ सुदेहा पर क्रोधित हुए और दंड देने के लिए तैयार हो गए, लेकिन घुश्मा ने अपनी बहन को क्षमा करने की विनती की। उसकी करुणा और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वहीं निवास करने का वरदान दिया। तभी से यह स्थान घुश्मेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुआ।

संतान कामना का अद्भुत केंद्र

घृष्णेश्वर मंदिर को लेकर यह दृढ़ विश्वास है कि जो भी दंपती यहां सच्चे मन से भगवान शिव का पूजन करता है, उसे शीघ्र ही संतान का सुख प्राप्त होता है। यही कारण है कि यह मंदिर संतान की कामना रखने वाले भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

वर्तमान में भी मौजूद है वह पावन सरोवर

आज भी मंदिर परिसर में वही पवित्र सरोवर स्थित है, जिसमें घुश्मा शिवलिंगों का विसर्जन करती थीं। इस सरोवर के जल को बहुत पवित्र माना जाता है और कहा जाता है कि इसके दर्शन या स्पर्श मात्र से भी भक्तों की संतान संबंधी कामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। यह सरोवर आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का जीवंत प्रतीक है।

घृष्णेश्वर महादेव का मंदिर

घृष्णेश्वर महादेव का यह मंदिर न केवल भगवान शिव के चमत्कारों का साक्षी है, बल्कि यह भक्त घुश्मा की अपार श्रद्धा और क्षमा की भावना का भी प्रतीक है। यहां आकर भक्त न सिर्फ अपने जीवन की समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं, बल्कि अध्यात्मिक शांति और भगवान शिव का विशेष सानिध्य भी प्राप्त करते हैं।

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