गजानन संकष्टी चतुर्थी 2025: जानिए क्यों है ये दिन इतना खास और कैसे करें पूजा

हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है, संकष्टी चतुर्थी, जिसे संकटों को हरने वाली तिथि कहा जाता है. चलिए जानते ये दिन क्यों खास है.

Kumari Sakshi
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हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है संकष्टी चतुर्थी, जिसे संकटों को हरने वाली तिथि कहा जाता है. इस दिन भगवान श्रीगणेश की उपासना कर लोग संकट, कष्ट और रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं. जब ये चतुर्थी सोमवार या किसी विशेष नक्षत्र/योग में आती है, तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है – और इसे ही कहा जाता है “गजानन संकष्टी चतुर्थी”.

क्यों खास है 14 जुलाई की गजानन संकष्टी चतुर्थी?
इस बार चतुर्थी सोमवार को पड़ रही है – जो भगवान शिव और गणेश दोनों को अत्यंत प्रिय दिन है, ज्योतिषीय दृष्टि से चंद्र दर्शन और व्रत का शुभ फल कई गुना बढ़ता है, संतान प्राप्ति, करियर में बाधा, धन-संकट और पारिवारिक अशांति जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है.

गजानन संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें, व्रत का संकल्प लें, घर के मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीप जलाएं.

पूजन सामग्री: दूर्वा (21 तिनके), शुद्ध जल, रोली, मोदक या लड्डू, गुड़, फूल, कपूर, अगरबत्ती, धूप, नैवेद्य

पूजा का क्रम:
गणेश जी को जल अर्पित करें, रोली और अक्षत लगाएं, दूर्वा और फूल चढ़ाएं, लड्डू या मोदक का भोग लगाएं,’ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें (108 बार शुभ),संकटनाशक गणेश स्तोत्र या गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें.

चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें
रात को चंद्रमा को जल अर्पण करें और प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें,चंद्रमा को देखने के बाद ही फलाहार या भोजन करें.

गजानन संकष्टी चतुर्थी के लाभ:
व्रत रखने से संकट टलते हैं और सुख-समृद्धि आती है, विद्यार्थियों को बुद्धि और एकाग्रता का आशीर्वाद मिलता है, संतान सुख, रोग मुक्ति और पारिवारिक शांति प्राप्त होती है, ग्रहों के कुप्रभाव शांत होते हैं.