इंदौर। इंदौर पर्यावरण महोत्सव के दूसरा दिन में विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों के सत्र हुए। प्रथम सत्र खेती पर केंद्रित था। इसमें झाबुआ से आये निलेश देसाई ने स्थानीय समस्याओं का स्थानीय तरीके से कैसे समाधान हो सकता है इस पर बात की। इस पर बोलते हुए निलेश देसाई ने अपने झाबुआ क्षेत्र में पिछले 30 वर्षों के अनुभव से बताया कि समाधान स्थानीय लोगों के माध्यम से निकालने पर जोर दिया। वे जैविक खेती, बीज बैंक, परंपरागत व अनाज को बढ़ावा देने के लिये सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
इसी सत्र में बोलते हुए इंदौर के अजीत केळकर ने बताया कि रसायन के उपयोग ने हमें धरती माता से दूर कर दिया। हम अपने खेत, अपनी फसल और अपनत्व को रखना ही भूल गये है। इसने हमारे जीवन को बाजार पर ही निर्भर करके छोड़ दिया। इसलिये जरूरत है कि धरती और किसान में संवेदनशील रिश्ता कायम हो।
दूसरे सत्र में पानी के ऊपर विस्तार से चर्चा की गई। इस सत्र में बोलते हुए इंदौर के ओ पी जोशी ने अपने जीवन में पानी की खपत, प्रदूषण और बचाव तरीको पर चर्चा की। बड़े स्तर पर हुई शोधों द्वारा प्राप्त आंकड़ों को जानने के साथ ही उन्होंने हमारे दैनिक जीवन में पानी के उपयोग पर ध्यान देने के लिए आव्हान किया। दैनिक कार्यों में उपयोगित पानी की मात्रा अगर पूर्णरूप से समझी जाए, तो निश्चित ही हर इंसान ये समझ पाएगा की हम वास्तव में पानी के उपयोग कम और अपव्यय के अधिक आदि हो चुके है। इसी के साथ उन्होंने एक जागरूक नागरिक होने के नाते इस बात पर चिंतन करने की जरूरत को समझाया, क्योंकि बढ़ते शहरों और खेती प्रधान देश होने के साथ हमारी पानी को बचाने की जरूरत और आवश्यक हो गई है।
इसी सत्र में चर्चा करते हुए आशीष ने बताया कि हमें मुख्यतः तालाबों के संरक्षण और रेस्टोरेशन पर अधिक ध्यान देने की जरुरत है। बुंदेलखंड में सृजन संस्था ने पुराने तालाब के संरक्षण पर लोगों के साथ कार्य किया। उन्होंने बताया कि हमें तालाब को साफ और उनके आसपास की जैव विविधता पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। उन्होंने पौधों को मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए स्थानीय परिस्थिति के अनुसार लगाये।
इसी सत्र देवास के डी॰एफ़॰ओ॰ पी एन मिश्रा ने चर्चा करते हुए उनके द्वारा देवास में शंकरगढ़ पर्वत के पुनर्जीवित करने की यात्रा पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि देवास के युवाओं ने मिलकर जब अवैध खनन हो रही पहाड़ी को संजोने का प्रयास किया, इसी को आगे बढ़ाते हुए मिश्रा जी द्वारा वन विभाग की विभिन्न योजनाओं से इस अभियान को आगे बढ़ाया। उन्होंने बताया कि कभी एक बंजर रहे पहाड़ को देवास ग्रीन आर्मी के सहयोग से हरा भरा बना दिया एवं आज यह पहाड़ी एक eco-tourism की मनपसंद जगह बन चुकी है। प्रदेश के औद्योगिक शहरों के बीच शंकरगढ़ एक बहुप्रतीक्षित हिल स्टेशन बनने के साथ ही एक सघन बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट बनता जा रहा है।
इसी सत्र में चर्चा करते हुए मण्डला से आये श्री प्रद्युमन आचार्य ने बताया कि फ़ाउंडेशन फ़ॉर ईकलाजिकल सिक्यूरिटी संस्था कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के करीब 2000 हेक्टेयर जमीन को लेंटाना नामक विदेशी प्रजाति के पौधे से मुक्त कर वनों पुनर्जीवित करने की अपनी यात्रा साझा की। वर्ष 2008 में प्रारंभ कर उन्होंने पूरे 2 वर्ष केवल लेंटाना से जुड़ी समस्याओं पर अध्ययन किया एवं उसके पश्चात सटीक कार्य प्रणाली स्थापित कर मंडला जिले के किसानों की सहायता की। उनकी पुरातन आदिवासी परंपराओं को पुनर्जीवित कर उनकी आर्थिक स्थिती मजबूत करने में आचार्य जी के काम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
महोत्सव के अंतिम सत्र में साइनटेक इको फ़ाउंडेशन के उदय भोले जी ने प्रकृति एवं ऊर्जा के संबंध पर आधारित विस्तार से चर्चा की। बुनियादी विचारो से चर्चा को शुरू करते हुए उन्होंने ऊर्जा से संबंधित सारे विषयों पर विस्तार से बताया, जिसमे स्कूली विषयों से लेकर दैनिक जीवन में प्रस्तुत ऊर्जा स्रोतों की बात हुई। चर्चा मुख्यतः सौर ऊर्जा पर आकर ठहरी, क्युकी उष्णकटिबंधीय पर्यावरण होने के कारण हमारे देश में सौर ऊर्जा काफी प्रचुरता में मौजूद है। हालांकि सोलर पैनल जैसे समाधान वन टाइम इन्वेस्टमेंट माने जाते है, मगर लंबे समय तक क्लीन एनर्जी प्रदान करना निश्चित करते है, जिससे सिर्फ मानव जीवन ही नही, अन्य प्राणियों का जीवन यापन भी सरल बन सकता है।
कार्यक्रम के समापन सत्र में इंदौर कलेक्टर डॉ टी. इलयाराजा द्वारा इंदौर में जैव विविधता पर कार्य करने की आवश्यकता है इस पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि इंदौर में विभिन्न प्रजाति के पौधों को सूचीबद्ध कर उस पर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने बोला कि इंदौर में पर्यावरण के मुद्दे पर इस प्रकार के आयोजन वृहद् स्तर पर आयोजित किये जाना चाहिये एवं आयोजन के लिये सभी को बधाई भी दी। अम्बरीश केला एवं संदीप खानवलकर द्वारा कार्यक्रम में आये हुए सभी पर्यावरण प्रेमी लोगों को धन्यवाद दिया। इस प्रकार के महोत्सव भविष्य में भी आयोजित किये जायेंगे।