Maha Shivratri 2022: हम वर्षों से महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) का आध्यात्मिक उत्सव मनाते आ रहे हैं। इस दिन भोलेनाथ (Bholenath) की पूजा-अर्चना और रुद्राभिषेक करते है। शिव परिवार के मुखिया स्वयं शिवजी, फिर जिनका वाहन नंदी है, गले मे सर्प है, और पुत्र गणेश हैं जिनका वाहन मूषक है। दूसरे पुत्र कार्तिकेय हैं, जिनका वाहन मोर है। इन सब बातों में चिंतन का विषय यह है कि नंदी, मूषक, सर्प और मोर एक साथ नहीं रह सकते फिर भी शिव दरबार मे हम इनके एक साथ दर्शन करते है। महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।
इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 1मार्च को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का मिलान हुआ था। वहीं शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। जिसकी वजह से इस दिन का काफी ज्यादा महत्व है। इस दिन व्रत उपवास करने का विधान है। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन खास तौर पर भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है।
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पूजा में पुष्प, बेलपत्र, भांग, धतूरा, बेर, जौ की बालें, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, देसी घी, शहद, गंगा जल, साफ जल, कपूर, धूप, दीपक, रूई, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, गंध रोली, इत्र, मौली जनेऊ जैसी कई वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। लेकिन अनजाने में हमसे कुछ ना कुछ गलती हो ही जाती है, जिसके कारण भोलेनाथ कुपित हो सकते हैं। शिवपुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव की आराधना करते समय कौन सी वस्तुएं शिवलिंग पर अर्पित नहीं करनी चाहिए। आइए जानते हैं क्या हैं वो वस्तुएं-
सिंदूर
भगवान शिव पर सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है। बता दें भोलेनाथ को सिंदूर चढ़ाना अशुभ माना जाता है। वहीं जानकारी के लिए बता दें इसके स्थान पर आप भगवान शिव को चंदन का तिलक लगा सकते है। यह लगाना शुभ माना जाता है।
हल्दी
शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा मानना है कि शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाने से शिव क्रोधित हो सकते हैं। इस बात का आप विशेष ध्यान रखे।
शंख से जल चढ़ाना
शिव-पुराण में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि भोलेनाथ ने शंखचूड़ नाम के एक दैत्य का वध किया था। जिसकी वजह से शिव जी को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है।
केतकी का फूल
भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी केतकी का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।
तुलसी दल
शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को तुलसी अर्पित नहीं की जाती है। जानकारी के लिए बता दें जालंधर नाम के राक्षस को अपनी पत्नी वृंदा की पवित्रता और विष्णु जी द्वारा दिए गए कवच के कारण अमरता का वरदान मिला था। अमर होने के इस वरदान के कारण वह लोगों पर अत्याचार करने लगा, तो शिव जी ने उसका वध कर दिया। इससे नाराज वृंदा ने शिव जी को श्राप दिया के उनके पूजन में तुलसी का उपयोग वर्जित रहेगा।