मध्यप्रदेश में स्टांप शुल्क में बंपर बढ़ोतरी, आम जनता की जेब पर बढ़ेगा भार, महंगा हुआ रेंट-प्रॉपर्टी एग्रीमेंट

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By Raj RathorePublished On: August 7, 2025

मध्यप्रदेश विधानसभा में बुधवार को स्टांप शुल्क में ऐतिहासिक वृद्धि को मंजूरी दी गई। ‘भारतीय स्टांप मध्यप्रदेश संशोधन विधेयक’ के माध्यम से राज्य सरकार ने कई सेवाओं और दस्तावेजों पर लगने वाले स्टांप शुल्क में 400 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की है। बता दें यह विधेयक सदन में चर्चा के बाद पारित किया गया, लेकिन इसे लेकर सत्तारूढ़ और विपक्ष के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली। सरकार का दावा है कि यह संशोधन राजस्व बढ़ाने की एक ज़रूरी प्रक्रिया है, जबकि विपक्ष ने इसे आमजन पर सीधा बोझ बता दिया है।

कांग्रेस का तीखा विरोध और वॉकआउट

स्टांप शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस ने जोरदार विरोध भी किया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार टैक्स न बढ़ाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर इस तरह का भारी शुल्क थोप दिया है। कांग्रेस विधायकों ने इसे जनविरोधी कदम बताते हुए सदन में हंगामा किया और जमकर नारेबाजी भी की। देखा जाए तो कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया, जिसके बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

आम आदमी की जेब पर सीधा असर

विपक्षी विधायकों का कहना है कि इस संशोधन का सबसे अधिक असर आम जनता पर देखने को मिलेगा। विधायक बाला बच्चन ने तर्क दिया कि रेंट एग्रीमेंट और प्रॉपर्टी संबंधी दस्तावेजों पर शुल्क कई गुना बढ़ा दिया गया है, जिससे मध्यमवर्ग और गरीब वर्ग को बहुत ज़्यादा आर्थिक दबाव झेलना पड़ेगा। कांग्रेस नेताओं ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार ने यह शुल्क वृद्धि लागू करने से पहले जनता की राय ली? उन्होंने इसे जनविरोधी नीति बता दिया।

सरकार का बचाव – “सोच-समझकर लिया गया फैसला”

वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में जवाब दिया और कहा कि यह संशोधन बिना सोच-विचार के नहीं किया गया है। सरकार ने समाज के कमजोर वर्गों का विशेष ध्यान रखा है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए एफिडेविट पर स्टांप शुल्क पूरी तरह से माफ किया गया है। देवड़ा का कहना था कि यह निर्णय प्रशासनिक सुधारों के लिए लिया गया है और इससे सरकार की आय में बढ़ोतरी होगी।

किन-किन दस्तावेजों पर कितना शुल्क बढ़ा

नए संशोधन विधेयक के तहत कई दस्तावेजों पर लगने वाले स्टांप शुल्क में ये बदलाव किए गए हैं:
• एफिडेविट (हलफनामा): पहले 50 रुपये का स्टांप लगता था, अब इसे बढ़ाकर 200 रुपये कर दिया गया है।
• रेंट एग्रीमेंट (किराया अनुबंध): पहले 500 रुपये में बनता था, अब इसके लिए 1000 रुपये देने होंगे।
• प्रॉपर्टी एग्रीमेंट (संपत्ति अनुबंध): पहले 1000 रुपये का शुल्क लिया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है।
• शस्त्र लाइसेंस (हथियार लाइसेंस): पहले 5000 रुपये शुल्क था, अब इसके लिए 10,000 रुपये देना होगा।

इन बदलावों के लागू होने से सरकार को राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद है, लेकिन जनता पर इसका असर अलग ही देखने को मिलेगा। वित्तीय बोझ भी निश्चित रूप से बढ़ेगा।