युवाओं और उनके जीवन के उतार-चढ़ावों को संजोए लेखक सुयश त्यागी की पुस्तक ‘छूटते किनारे’

mukti_gupta
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युवा लेखक सुयश त्यागी द्वारा लिखी पुस्तक ‘छूटते किनारे’ महज एक उपन्यास नहीं है बल्कि इसके माध्यम से पाठक युवाओं के बीच होने वाले संवादों और उनके जीवन के कई पहलुओं को समेटा गया है। जिसमें उस युवक के जीवन को मध्य में रख बचपन से लेकर युवास्था तक के संघर्षों, प्रेम, वात्सल्य, मित्रता जैसे अनेक पड़ावों को  बहुत ही बारीकी और सुंदरता से कल्पिनिक चित्रित किया गया है।

इस पुस्तक की कहानी पढ़ने के कुछ समय बाद ही पाठक खुद को उनमें से एक पाता है। कहानी की शुरुआत थाने से होती है जो पाठक की ऊँगली पकड़ कर उसे आखिर पन्ने तक लेकर जाती है। इस कहानी के पात्रों से पाठक का जैसे-जैसे पात्रों से परिचय होता, उसके कुछ समय बाद ही पाठक खुद को उनमें से एक पाता है। साथ ही उन चरित्रों में अपना प्रतिबिंब देखने लगता है। पाठक भी पात्र के उसके मुकाबलों से संघर्ष करता है, और उसकी जीत में खुश और हार में नए मार्गों को खोजने लगता है।

विगत कई वर्षों से सुयश त्यागी सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य करते हुए युवाओं के जीवन आधारित विभिन्न आयामों को निकट से अनुभव कर रहे हैं l वर्ष 2017 में एक उपन्यास “ये फितूर और कश्मीरियत” प्रकाशित हुआ, जो देश की आजादी के पूर्व एक युवक के संघर्षों व उसके कश्मीर में व्यतीत जीवन पर मार्मिक और काल्पनिक चित्रण के रूप में उकेरा गया था। इसके साथ ही देश के प्रमुख समाचार पत्रों व अन्य डिजिटल माध्यमों में आलेखों का प्रकाशन होता रहता है l इस पुस्तक को amazon पर आसानी से ‘छूटते किनारे’  मंगवा सकते है।