भारतीय योग दर्शन : स्वस्थ तन और उन्नत मन के लिए करें सूर्यनमस्कार, बारह आसन हैं सम्मिलित

Shivani Rathore
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आज रविवार (sunday) है जोकि सूर्य भगवान का दिन कहलाता है। भारतीय दर्शन में सूर्य को ईश्वर की संज्ञा दी गई है और विभिन्न अवसरों पर पूजन व आराधना भी भगवान सूर्य की की जाती है। मकर संक्रांति का त्यौहार भगवान सूर्य की गति पर ही निर्धारित होता है। भारतीय योग परम्परा में भी सूर्य (Sun) का महत्व परमात्मा के अंश के रूप में शक्ति और तेजस्विता प्रदान करने वाला होता है। सूर्य नमस्कार के रूप भगवान सूर्य के प्रति आभार वंदना के साथ ही साधक के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की प्रबलता का मार्ग प्रशस्त होता है। इसके नियमित अभ्यास से तन और मन दोनों ही अपने सर्वश्रेष्ठ स्वरूप की ओर अग्रसर होते हैं।

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पूर्णतः वैज्ञानिकता पर है आधारित सूर्यनमस्कार

भारतीय योग परम्परा का महत्वपूर्ण अंग सूर्य नमस्कार आध्यात्मिकता के साथ ही पूर्णतः वैज्ञानिकता पर भी आधारित है। मानसिक दृढ़ता के साथ ही एड़ी से लेकर चोटी तक का शारीरिक व्यायाम सूर्य नमस्कार के माध्यम से होता है। सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर के सभी अंग दृढ़ता को प्राप्त करके सुचारु रूप से कार्य करने लगते हैं, इसके साथ ही रोगप्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है। शारीरिक रोग और कष्ट सूर्यनमस्कार के नियमित साधक से प्रायः दूर ही रहते हैं और एक स्वस्थ जीवन शैली साधक को प्राप्त होती है ।

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बारह विभिन्न आसन हैं सूर्य नमस्कार में सम्मिलित

सूर्य नमस्कार में बारह विभिन्न आसनों का सम्मिश्रण है, जिसके माध्यम से शरीर के सभी अंगों का व्यायाम वैज्ञानिक ढंग से हो जाता है।
ये बारह विशेष आसन हैं –

1. प्रणाम आसन
2. हस्तउत्तानासन
3 हस्तपाद आसन
4 अश्व संचालन आसन
5 दंडासन
6 अष्टांग नमस्कार
7 भुजंग आसन
8 पर्वत आसन
9 अश्वसंचालन आसन
10 हस्तपाद आसन
11 हस्तउत्थान आसन
12 ताड़ासन