Ujjain News: पाले से फसलों की सुरक्षा एवं सर्तकता के लिए किसानों को सलाह

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By Mohit DevkarPublished On: January 12, 2022

उज्जैन: जिस दिन आकाश पूर्णतया साफ हो, वायु में नमी की अधिकता हो, कड़ाके की सर्दी हो, सायंकाल के समय हवा में तापमान ज्यादा-कम हो एवं भूमि का तापमान शून्य डिग्री सेंटीग्रेट अथवा इससे कम हो जाए, ऐसी स्थिति में हवा में विद्यमान नमी जल वाष्प संघनीकृत होकर ठोस अवस्था में (बर्फ) परिवर्तित हो जाता है। इसके साथ ही पौधों की पत्तियों में विद्यमान जल संघनित होकर बर्फ के कण के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं जिससे पत्तियों की कौशिका भित्ती क्षतिग्रस्त हो जाती है जिससे पौधों की जीवन प्रक्रिया के साथ-साथ उत्पादन भी प्रभावित होता है।

पाले से फसलों की सुरक्षा एवं सर्तकता हेतु कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा सलाह दी है कि पाला पड़ जाने पर नुकसान की संभावना अत्यधिक होती है। ऐसी स्थिति में किसान निम्नानुसार सावधानी अपना कर फसलो को बचा सकते है- पाले की संभावना पर रात में खेत में 6-8 जगह पर धुआं करना चाहिये। यह धुंआ खेत में पड़े घास-फूस अथवा पत्तियां जलाकर भी किया जा सकता है। यह प्रयोग इस प्रकार किया जाना चाहिये कि धुआं सारे खेत में छा जाए तथा खेत के आसपास का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक आ जाए। इस प्रकार धुआं करने से फसल का पाले से बचाव किया जा सकता है। पाले की संभावना होने पर खेत की हल्की सिंचाई कर देना चाहिये।

इससे मिट्टी का तापमान बड़ जाता है तथा नुकसान की मात्रा कम हो जाती है। सिंचाई बहुत ज्यादा नहीं करनी चाहिये तथा इतनी ही करनी चाहिये जिससे खेत गीला हो जाए।रस्सी का उपयोग भी पाले से काफी सुरक्षा प्रदान करता है। इसके लिये दो व्यक्ति सुबह-सुबह (जितनी जल्दी हो सके) एक लंबी रस्सी को उसके दोनों सिरों से पकड़ कर खेत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक फसल को हिलाते चलते हैं। इससे फसल पर रात का जमा पानी गिर जाता है तथा फसल की पाले से सुरक्षा हो जाती है।