दो दिन सरकार के पांच जनप्रतिनिधियों के, ऐसे सात दिन का हुआ लॉकडाउन

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By Mohit DevkarPublished On: April 12, 2021
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कीर्ति राणा


इंदौर: बढ़ते जा रहे कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सात दिन की सख्ती वाले निर्णय से आमजन हैरान हैं।सामान्यजन भी मानसिक रूप से खुद को 60 घंटों के लॉकडाउन के लिए तैयार कर चुका था। यकायक इस आदेश को सोमवार से शुक्रवार तक और बढ़ा देने से शहर का बड़ा तबका इसे सरासर विश्वासघात मान रहा है। मॉस्क, फिजिकल डिस्टेंसिंग के लिए प्रशासन की सारी मेहनत फेल होने के चलते आमजन भी मान कर चल रहा था कि दो-तीन दिन के लॉकडाउन ही विकल्प हो सकता है।

क्राइसिस मैनेजमेंट सदस्यों और जनप्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक, फिर सुमित्रा महाजन द्वारा सभी दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में शुक्रवार शाम से सोमवार सुबह तक 60 घंटे के लॉकडाउन की सहमति बन गई थी।इसमें भी कांग्रेस ने अपने बड़े नेताओं से बात कर अवगत कराने का वादा किया था लेकिन दो दिन घोषित सहमति के साथ सप्ताह के बचे पांच दिन भी लॉकडाउन जारी रखने का निर्णय समझ से परे है।अब जो चर्चा चल रही है वह यह कि 19 अप्रैल के बाद इस लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक जारी रखने का निर्णय लिया जा सकता है, हांलाकि ऐसे किसी निर्णय के पहले क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी में सहमति लेना जरूरी है।

दो दिन सरकार के पांच दिन जनप्रतिनिधियों केजिला प्रशासन ने बैठक में बनी आम सहमति के बाद 60 घंटे लॉकडाउन का प्रस्ताव भेजा था। भोपाल पहुंचने के बाद इसमें सोमवार सुबह से शुक्रवार की शाम तक की अवधि कैसे शामिल हो गई इससे कांग्रेस के विधायकों सहित समिति के कई प्रतिनिधि हैरान तो हैं, इन सभी का यह मानना भी है कि अगले पांच दिन का लॉकडाउन भी सत्ता पक्ष से जुड़े जनप्रतिनिधियों की मौन सहमति बिना संभव ही नहीं।शहर का बड़ा तबका दिहाड़ी मजदूर से लेकर रोज दस से बीस प्रतिशत ब्याज पर पैसा लेकर धंधा करने वाला छोटा तबका भी इस सतत लॉकडाउन के निर्णय से हैरान-परेशान है तो इसलिए कि रोज कुआ खोद कर पानी पीने वाले इस वर्ग के लिए मजदूरी वाले सारे रास्ते बंद हो गए हैं।

लॉकडाउन के इस निर्णय के चलते जिला प्रशासन ने किराना दुकानों को चार घंटे खोलने की छूट दी है।यह छूट इस दिहाड़ी वर्ग के लिए बेमानी इसलिए है कि सामान खरीदने के लिए भी तो पैसा चाहिए, सतत लॉकडाउन से मजदूरी के रास्ते बंद होने पर सामान खरीदना भी कम चुनौती नहीं।पिछले साल लॉकडाउन की सख्ती वाले महीनों में तो जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों आदि ने किराना सामान, भोजन के पैकेट आदि निशुल्क बांटे थे इससे बस्तियों के रहवासियों को मदद मिल गई थी। इस बार किराना दुकानों को कुछ घंटों की मोहलत का प्रावधान कर जनप्रतिनिधियों ने एक तरह से सहायता वाली पहल से खुद को अलग कर लिया है।

होटल संचालकों का कहना कम से कम टेक अवे वाली व्यवस्था तो जारी रखना थी

सतत लॉकडाउन के निर्णय से दुकानदारों,ठेले पर फल-सब्जी आदि बेचने वालों के साथ ही होटल-रेस्टॉरेंट संचालक भी खुश नहीं है। होटल संचालकों का कहना है लॉकडाउन लगा रखा है तो ग्राहक तो आने से रहे कम से कम टेक अवे की अनुमति तो जारी रखना थी।इससे कुछ तो कारोबार चलता रहता और होटल स्टॉफ की पगार सहित अन्य खर्चों में कुछ राहत तो मिलती। पता नहीं निर्णय लेने वाली बैठकों में शामिल जनप्रतिनिधि शहर के विभिन्न वर्गों की परेशानियां क्यों नहीं समझ पाते।

हमें ना विश्वास में लिया और न ही बताया

दो दिन के लॉकडाउन को सीधे एक सप्ताह (19 अप्रैल तक) जारी रखने पर क्या कांग्रेस ने बैठक में सहमति दी थी? विधायक विशाल पटेल और शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल का कहना था हमने तो दो दिन के लॉक डाउन के संबंध में भी कहा था कि हमारे वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद अवगत कराएंगे, ताई ने कहा भी था कि कल तक बता देना।दो दिन की अवधि वाले लॉकडाउन पर भी हमने कहा था कि पहले गरीब परिवारों-दिहाड़ी मजदूरों को राशन सामग्री उपलब्ध कराएं फिर ऐसा कोई निर्णय लें।लॉकडाउन की अवधि को और पांच दिन बढ़ाने का निर्णय कब हुआ, नहीं पता।प्रशासन को विपक्ष का सहयोग तो चाहिए लेकिन हमें विश्वास में भी तो लें।