IIM इंदौर में प्रबोधन का समापन, ऑनलाइन कॉन्क्लेव में कुल 200 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया

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By Akanksha JainPublished On: December 13, 2020

आईआईएम इंदौर के एग्जीक्यूटिव पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (ईपीजीपी) के वार्षिक एचआर और लीडरशिप कॉन्क्लेव प्रबोधन का समापन 13 दिसंबर, 2020 को हुआ। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में दो पैनल डिस्कशन, एक ऑनलाइन क्विज़, एक केस स्टडी कॉम्पिटिशनहुई और देशभर के प्रतिभागियों को शीर्ष एचआर एक्सपर्ट्स के साथ बातचीत करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया जहाँ उन्हें विशेषज्ञों के अनुभवों से सीखने का मौका मिला।

प्रबोधन के दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण था एक पैनल डिस्कशन जिसका विषय था – ‘क्या भारतीय कार्यबल आत्मनिर्भर भारत के लिए तैयार है- चुनैतियां और भविष्य’। भावना मिश्रा, एचआर डायरेक्टर, पेप्सिको; गौरव पंडित, डायरेक्टर-टैलेंट मैनेजमेंट,फ्लिपकार्ट; प्रखर त्रिपाठी, डायरेक्टर,डेलोइट इंडियाऔर संतोष घाटे, वाईस प्रेसिडेंट और एचआर हेड, गार्टनर इंडिया इस सत्र के पैनलिस्ट थे। सत्र का संचालन प्रोफेसर हरि सोहानी, फैकल्टी, आईआईएम इंदौर ने किया।

आत्मनिर्भर भारत पर अपने विचार साझा करते हुए, घाटे ने कहा कि भारतीय जनसंख्या का 7 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे है और भारत का केवल 1 प्रतिशत 17 लाख रुपए से अधिक कमाता है ; जबकि 10 प्रतिशत जनसंख्या 53-70 लाख रुपए कमाती है । ‘देश की सीसी 90 प्रतिशत जनसँख्या के लिए आत्मानिर्भर होना आवश्यक है । आत्मनिर्भर भारत, देश को दुनिया से अलग करने का नहीं बल्कि मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड, यानि दुनिया के लिए भी उत्पादन करने के बारे में है’, उन्होंने कहा। उन्होंने कहा कि शिक्षा, वित्तीय समावेशन और क्रेडिट तक पहुंच; और व्यापार करने में आसानी, तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जो कि आत्मानिभर भारत को प्राप्त करने में मदद करते हैं ।

पंडित ने कहा कि कुशल श्रम शक्ति एक आत्मनिर्भर राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ‘एमएसएमई हमारी जीडीपी मेंप्रमुख भूमिका निभाते हैं और अर्थव्यवस्था को बढ़ाते हैं। यह लोगों के लिए अधिक अवसर पैदा करने का समय है जिनमें वे अपने कौशल को बढ़ाने और अपने व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।वित्तीय स्थिरता प्राप्त करने के लिए युवा इन दिनों सरकारी नौकरी पसंद करते हैं। कुशल कार्यबल प्राप्त करने के लिए असमानता को निवेश के साथ-साथ कई स्तरों पर संबोधित किया जाना चाहिए’, उन्होंने कहा ।

मिश्रा ने उल्लेख किया कि लगभग 97 प्रतिशत बच्चे प्राथमिक शिक्षा में दाखिला लेते हैं और 70 प्रतिशत बच्चे उच्च माध्यमिक में दाखिला लेते हैं। सिर्फ 26 प्रतिशत छात्र उच्च शिक्षा में दाखिला ले पाते हैं। ‘हमें इस अंतर को दूर करने और शिक्षा की गुणवत्ता के मुद्दे को समझने की आवश्यकता है। यही कारण है कि हम कुशल श्रमिक खोजने में सक्षम नहीं हैं ‘, उन्होंने कहा।

वर्क फ्रॉम होम और डिजिटलीकरण पर त्रिपाठी ने उल्लेख किया कि अगर हमें वैश्विक स्तर पर एक देश के रूप में प्रतिस्पर्धा करनी है, तो डिजिटलीकरण बेहद ज़रूरी है -बात चाहे विनिर्माण की हो या किसी अन्य क्षेत्र की। डिजिटलीकरण अनिवार्य है और नौकरी की प्रकृति और किसी भी कार्य को करने के तरीके को बदलता है। उन्होंने कहा कि अद्वितीय मूल्य प्रस्ताव बनाने की संगठनों की क्षमता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों को कम लागत पर कैसे ला सकते हैं।

यह पैनल चर्चा एक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ संपन्न हुई, जिसमें पैनलिस्टों ने इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर दिया।

इस अवसर पर, एक बुक लॉन्च समारोह भी हुआ। ईपीजीपी बैच 2020-21 के प्रतिभागी शिव कुमार की पुस्तक ‘चलो नया सपना बुनते हैं’ का विमोचन प्रोफेसर रंजीत नंबुदिरी, डीन-प्रोग्राम्स, आईआईएम इंदौर द्वारा डिजिटली किया गया।

प्रबोधन की केस स्टडी कम्पटीशन ‘मंथन’में लगभग 150प्रतिभागी शामिल हुए जिन्होंने 1 लाख रूपए के पुरस्कारों के लिए अपने केस सबमिट किये। प्रवीण सिन्हा, सीईओ और एमडी, टाटा पावर लिमिटेड और प्रोफेसर स्वप्निल गर्ग, फैकल्टी, आईआईएम इंदौर इसके निर्णायक थे।

समापन के दिन एक इंटरैक्टिव डिजिटल क्विज़ भी आयोजित किया गया, जहाँ प्रतिभागी टीमों ने 30 हज़ार रुपए के पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्धा की ।