MP

मदरसों में नहीं मिल रही है शिक्षा, बंद हो फंडिंग, NCPCR ने की केंद्र शासित और राज्य सरकारों से सिफारिश

Author Picture
By Meghraj ChouhanPublished On: October 12, 2024

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने हाल ही में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिखकर मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग को बंद करने की सिफारिश की है। आयोग ने मदरसा बोर्डों को समाप्त करने का भी सुझाव दिया है, ताकि शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के तहत सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा मिल सके।

बच्चों की शिक्षा में कमी

NCPCR ने यह स्पष्ट किया है कि मदरसों में बच्चों को पर्याप्त शिक्षा नहीं मिल रही है। इस दृष्टिकोण से, आयोग ने सिफारिश की है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर आरटीई अधिनियम के तहत स्कूलों में भर्ती कराया जाए। इसके साथ ही, मुस्लिम बच्चों को भी जिनका अध्ययन मदरसा में हो रहा है, उन्हें औपचारिक स्कूलों में दाखिला दिलाने पर जोर दिया गया है।

बाल विवाह की समस्या
मदरसों में नहीं मिल रही है शिक्षा, बंद हो फंडिंग, NCPCR ने की केंद्र शासित और राज्य सरकारों से सिफारिश

NCPCR ने एक रिपोर्ट में यह भी बताया है कि 2023-24 में 11 लाख से ज्यादा बच्चे बाल विवाह के प्रति संवेदनशील हैं। आयोग ने इन बच्चों को बाल विवाह से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

NIOS की भूमिका की जांच

2021 में NCPCR ने अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों की शिक्षा पर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को संविधान द्वारा दिए गए शिक्षा के मौलिक अधिकार का लाभ नहीं मिल पाने पर प्रकाश डाला गया था। इसके बाद, 2022 में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने NIOS के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे मदरसा के बच्चों को ओपन स्कूल के माध्यम से परीक्षा देने की अनुमति मिली।

आरटीई अधिनियम और ओपन स्कूलिंग का टकराव

आरटीई अधिनियम, 2009 के तहत सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। आयोग का मानना है कि ओपन स्कूलिंग की पेशकश इस अधिकार के साथ टकराव में है। देश में 15 लाख से अधिक स्कूल हैं, जो प्रारंभिक शिक्षा की सुविधा प्रदान करते हैं, लेकिन यदि कुछ क्षेत्रों में स्कूलों को मान्यता नहीं मिलती है, तो NIOS की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

समग्र शिक्षा का लक्ष्य

NCPCR का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चे सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में बड़े हों, जिससे वे राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सार्थक योगदान दे सकें। आयोग की सिफारिशें इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।