इंदौर(Indore) : इंदौर विकास प्राधिकरण में दो हजार से ज्यादा लीज, नामांतरण और प्लाट के फ्रीहोल्ड के मामले उलझे हुए हैं। लोग बार-बार शिकायतें कर रहे थे। सबका निराकरण करने के लिए कह दिया है। प्राधिकरण के प्लाट खरीदने के बाद लोग प्लाट बेच देते हैं। कई बार एक ही प्लाट बिक जाता है,लेकिन प्राधिकरण में उसका नामांतरण लोग नहीं कराते। इस कारण जब कोई नामांतरण करने पहुंचता है। तो पुराने बेचवाल और खरीदवाल के लफड़े आते हैं। इस कारण कई नामांतरण की शिकायतें भी लगातार हो रही है।
इसी तरह से लीज डीड को लेकर भी यही परेशानी है, कई लोग एक ही प्लाट को अलग-अलग लोगों को बेच देते हैं। उसके बाद कुछ लोग रजिस्ट्री कराते हैं और कुछ लोग रजिस्ट्री भी नहीं कराते। जब तक प्राधिकरण का कोई प्लाट खरीदने के बाद वहां जाकर नामांतरण के लिए सूचना नहीं देता है, तब तक प्राधिकरण को पता नहीं चलता कि प्लाट खरीदने वाले पहले व्यक्ति ने बाद में किसको प्लाट बेच दिए। जब कोई लीज डीड कराने जाता है तो फिर विवाद की स्थिति बनती है।
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कुछ प्लाट ऐसे भी हैं जिनके मालिक इस दुनिया में नहीं रहे। अब उनके परिवार वाले सदस्य अलग-अलग आवेदन लगाकर वसीयत के आधार पर प्लाट का नामांतरण कराना चाहते हैं। कुछ मामले कोर्ट भी चल रहे हैं। इसी तरह से राज्य सरकार ने प्लॉट फ्री होल्ड करने के लिए लगभग सात साल पहले जो पॉलिसी बनाई थी। उसमें समय-समय पर आपत्तियों के हिसाब से परिवर्तन होते गए। उस कारण भी फ्री होल्ड के मामले उलझे हुए हैं। प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा के पास रोजाना पंद्रह बीस लोग इस तरह की शिकायतें लेकर पहुंच रहे थे। कुछ मामले खुद अध्यक्ष ने बुला कर देखें तो पता चला कि कानूनी दांवपेच के चलते परेशानियां बढ़ रही है।
अब अध्यक्ष चावड़ा ने कह दिया कि सारे मामले निपटाने के लिए एक महीने में अफसर फैसला कर दें। जिसके भी आवेदन आए हैं, उन सबको जो भी नियमानुसार हो सकता है। उसकी जानकारी बकायदा चिट्ठी लिखकर दें, ताकि लोगों को यह शिकायत ना हो कि उनका मामला लटकाया जा रहा है। यदि प्राधिकरण नियमानुसार किसी प्लाट की लीज डीड, नामांतरण या फ्री होल्ड नहीं कर सकता है तो उसकी सूचना भी प्लाट मालिक को दे दे। कुछ प्लाट ऐसे भी हैं जो कंपनियों ने खरीद लिए है। जिसमें बाद में डायरेक्टर बदल जाते हैं। उसको लेकर भी दूसरे लोग शिकायत करते हैं। नए डायरेक्टर प्लाट अपने नाम पर करना चाहते हैं, लेकिन कानूनी अड़चनें आती है। उन सब मामलों में भी संबंधित पक्षों को चिट्ठी लेकर सूचना दी जाएगी।
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दो हजार से ज्यादा ऐसे मामलों की बकायदा सूची बनाई जा रही है। किस प्लाट के मामले में क्या विवाद है। पहली बार प्राधिकरण ने जिसे प्लाट बेचा था। उसके बाद कितनी बार प्लाट बेचा गया। कितनी बार उसका प्राधिकरण में नामांतरण हुआ। इस पूरे मामले में कानूनी सलाह भी ली जा रही है। अब यह कहा जा रहा है कि प्राधिकरण के कर्मचारी सबसे ज्यादा लोगों को परेशान करते हैं। तीस साल से ज्यादा पुराने प्लाट के लीज नवीनीकरण के मामले भी पेंडिग होने से आइडिया की बदनामी हो रही है, इसलिए अध्यक्ष ने कह दिया कि अब जिस भी व्यक्ति का आवेदन आता है या तो उसका काम कर दिया जाए या फिर काम नहीं हो सकता है। तो उसका कानूनी कारण बताकर संबंधित पक्ष को चिट्ठी जरूर भेजें। अब यदि कोई शिकायत करता आता है तो संबंधित योजना के बाबू को निलंबित किया जाएगा।