छांगुर बाबा की खौफनाक साजिश का पर्दाफाश, ATS ने कन्वर्जन सिंडिकेट को किया बेनकाब

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By Dileep MishraPublished On: July 13, 2025
छांगुर बाबा की खौफनाक साजिश का पर्दाफाश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश एटीएस ने एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश करते हुए जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को गिरफ्तार किया है। यह मामला सिर्फ अवैध कन्वर्जन का नहीं, बल्कि भारत की धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान बदलने की बड़ी साजिश का हिस्सा बताया जा रहा है।


कोडवर्ड डिक्शनरी से चल रही थी धर्मांतरण की फैक्ट्री

छांगुर बाबा ने धर्मांतरण के लिए एक खास कोडवर्ड डिक्शनरी तैयार की थी। एटीएस के अनुसार वह अपने गुर्गों से बात करते वक्त ‘प्रोजेक्ट’, ‘मिट्टी पलटना’, ‘काजल’ और ‘दर्शन’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करता था।

  • प्रोजेक्ट = लड़की
  • मिट्टी पलटना = धर्म परिवर्तन
  • काजल = ब्रेनवॉश
  • दर्शन = मीटिंग

इन शब्दों को सुनने पर किसी को संदेह न हो, इसलिए उसने इन्हें जानबूझकर आम भाषा में चुना। एटीएस के पास उसकी कई कॉल रिकॉर्डिंग मौजूद हैं जिनमें यह कोडवर्ड इस्तेमाल हुए हैं।

देशभर में फैला नेटवर्क, नेपाल बॉर्डर पर फोकस

जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा का नेटवर्क सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था, बल्कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ था।
वह नेपाल सीमा से सटे सात जिलों में सक्रिय था और पिछले तीन वर्षों में 1000 से ज्यादा मुस्लिम युवकों को कन्वर्जन के लिए कैश पेमेंट दे चुका था।

अयोध्या, काशी और मथुरा को बदलना चाहता था

एटीएस का दावा है कि छांगुर बाबा की योजना अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे धार्मिक शहरों में जनसंख्या संतुलन बदलने की थी। वह इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराकर डेमोग्राफी में बदलाव लाना चाहता था ताकि इनकी सांस्कृतिक पहचान कमजोर की जा सके।

चार फॉर्मूले से चलता था कन्वर्जन रैकेट

छांगुर की टीम धर्मांतरण के लिए चार प्रमुख तरीके अपनाती थी:

  1. गरीब हिंदुओं को पैसों का लालच देना
  2. प्रेम जाल (हनी ट्रैप)
  3. नौकरी का झांसा
  4. विदेश भेजने का लालच

इनमें सबसे अधिक प्रयोग हनी ट्रैप और कैश पेमेंट का होता था। एटीएस के अनुसार, उसने बाकायदा रेट कार्ड बनाकर कन्वर्जन को कारोबार की तरह चला रखा था।

15 साल से चला रहा था साजिश

छांगुर बाबा पिछले 15 वर्षों से इस नेटवर्क को संचालित कर रहा था। उसे मिडिल ईस्ट देशों से करीब 200 करोड़ रुपये की फंडिंग भी मिली थी। अब एटीएस इस मामले से जुड़े अन्य सदस्यों और फंडिंग चैनल की जांच में जुटी है।