छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला, पुराने टैक्स बकाया होंगे माफ, 40 हजार व्यापारियों को राहत

Saurabh Sharma
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छत्तीसगढ़ सरकार ने छोटे व्यापारियों को राहत देने और व्यापार के माहौल को सरल बनाने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में दो बड़े संशोधन विधेयकों को मंजूरी दी गई है। इनसे न केवल पुराने टैक्स मामलों का समाधान होगा, बल्कि जीएसटी प्रणाली भी और बेहतर होगी।

10 साल पुराने वैट बकाया होंगे माफ

राज्य सरकार ने फैसला किया है कि जिन व्यापारियों के ऊपर 10 साल से ज्यादा पुराने और 25 हजार रुपये तक के वैट बकाया हैं, उन्हें खत्म कर दिया जाएगा। इस फैसले से करीब 40,000 छोटे व्यापारियों को फायदा मिलेगा। साथ ही, 62,000 से ज्यादा मुकदमों की संख्या घट जाएगी, जिससे व्यापारियों पर कानूनी बोझ कम होगा और प्रशासन पर भी दबाव घटेगा।

GST कानून में कई बदलाव, अब कारोबार होगा आसान

मंत्रिपरिषद ने छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक के प्रारूप को भी मंजूरी दी है। इसमें जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक के अनुसार कई बदलाव किए गए हैं। अब इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर्स अपने IGST के तहत प्राप्त इनपुट टैक्स क्रेडिट को ब्रांच ऑफिस में भी बांट सकेंगे। इससे जीएसटी से जुड़ी पुरानी उलझनों को सुलझाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा जिन मामलों में सिर्फ पेनाल्टी लगाई गई है और टैक्स की कोई डिमांड नहीं है, उनमें अपील करने के लिए जरूरी डिपॉजिट को 20% से घटाकर 10% कर दिया गया है। इससे व्यापारी वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी।

टैक्स वाउचर और सप्लाई की शर्तों में भी संशोधन

GST प्रणाली में वाउचर पर टैक्स लगाने के समय को लेकर पहले भ्रम की स्थिति थी। इसे दूर करने के लिए ‘टाइम ऑफ सप्लाई’ के प्रावधान को हटा दिया गया है। इससे एकरूपता आएगी और एडवांस रूलिंग में हो रही मतभिन्नता खत्म होगी।

तंबाकू उत्पादों पर सख्ती और विशेष आर्थिक क्षेत्रों को बढ़ावा

कैपेसिटी बेस्ड टैक्सेशन और स्पेशल कंपोजिशन लेवी की सिफारिशों के आधार पर तंबाकू जैसे डिमेरिट गुड्स पर ट्रेस एंड ट्रैक मैकेनिज्म लागू किया गया है। इसके जरिए निर्माण से लेकर उपभोक्ता तक पूरे सप्लाई चेन की निगरानी संभव होगी, जिससे टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी। साथ ही विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में रखी गई वस्तुओं, जिनका फिजिकल मूवमेंट नहीं होता और केवल कागजों पर खरीदी-बिक्री होती है, उन्हें GST के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया गया है। इससे SEZ में कारोबार को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा।