मध्य प्रदेश में ठंड का असर धीरे-धीरे बढ़ने लगा है, खासकर रात के समय तापमान में गिरावट देखी जा रही है। कुछ स्थानों पर, जैसे पचमढ़ी में, तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है, जो ठंड की शुरुआत का संकेत है। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में पहाड़ी इलाकों पर बर्फबारी के कारण ठिठुरन में और वृद्धि हो सकती है। साथ ही, धुंध और कोहरे का असर भी देखने को मिल सकता है।
प्रदेश में मौसम का मिजाज
मौसम विभाग का कहना है कि आज, मंगलवार को मौसम में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। वर्तमान में हवाएं पूर्वी और उत्तर-पूर्वी दिशा से चल रही हैं, जिससे दिन और रात के तापमान में थोड़ा सुधार हुआ है। हालांकि, नवंबर के आखिरी सप्ताह में ग्वालियर और चंबल संभाग में बादल छाने और हल्की बारिश की संभावना जताई गई है। इस दौरान भोपाल, इंदौर, उज्जैन, नर्मदापुरम, जबलपुर, सागर, रीवा और शहडोल संभागों में मौसम साफ रहेगा, लेकिन दिन में गर्मी और रात में ठंड का अहसास रहेगा। मौसम विभाग ने यह भी बताया है कि अगले हफ्ते से तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है, जिससे ठंड में और भी वृद्धि होगी।
इन जिलों में सर्दी का कहर
मध्य प्रदेश में इस बार दिसंबर और जनवरी में कड़ाके की सर्दी पड़ने की संभावना है। मौसम विभाग का अनुमान है कि इन दो महीनों में लगभग 20 से 22 दिन कोल्ड वेव की स्थिति रह सकती है। विशेष रूप से दिसंबर के पहले सप्ताह में प्रदेश के अधिकांश इलाकों में न्यूनतम तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी, जो 11 से 12 डिग्री के आसपास जा सकता है। 20 दिसंबर के बाद, कड़ाके की ठंड के संकेत बढ़ सकते हैं, खासकर निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, मऊगंज, सीधी, सिंगरौली, मंडला, डिंडोरी, झाबुआ, धार, उज्जैन, सीहोर, विदिशा, राजगढ़ और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में ठंड ज्यादा महसूस हो सकती है।
आने वाले दिनों में मौसम
मौसम विभाग ने बताया कि आज मौसम में कोई खास बदलाव नहीं होगा, लेकिन जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी, हवाओं में और ठंडक महसूस होगी। कुछ स्थानों पर हल्की बारिश और बादल भी हो सकते हैं, जबकि ज्यादातर हिस्सों में मौसम साफ रहेगा। मध्य प्रदेश में ठंड का असर बढ़ने के साथ ही मौसम में बदलाव स्पष्ट रूप से नजर आने लगा है। विशेष रूप से नवंबर के आखिरी सप्ताह से प्रदेश में ठंड और बढ़ने की संभावना है। दिसंबर और जनवरी में कड़ाके की सर्दी का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें कोल्ड वेव जैसी स्थिति बन सकती है। इसके साथ ही, पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी का भी असर रहेगा, जिससे ठिठुरन और बढ़ सकती है।