इंदौर। आज के दौर में सर्वाइकल कैंसर में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जिसे आम भाषा में गर्भाशय के मुंह का कैंसर कहा जाता है। भारत में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बाद दूसरे नंबर पर इसके केस सामने आते हैं। महिलाओं में यह कैंसर 80 प्रतिशत एचपीवी वायरस के इन्फेक्शन के कारण होता है। वहीं 30 प्रतिशत स्मोकिंग तो 2 प्रतिशत महिलाओं में यह जेनेटिक होता है। इससे बचाव के लिए एचपीवी का टीकाकरण किया जाता है, यह वायरस सेक्सुअल एक्टिविटी के कारण फैलता है।
इससे बचाव के लिए 11 साल से 19 साल तक की अविवाहित लड़कियों को लगाया जाता है। वहीं 26 की उम्र के बाद PAP टेस्ट किया जाता है। हर 3 से 5 साल के अंदर यह टेस्ट करवाने से महिलाओं के शरीर में इन्फेक्शन से हो रही समस्या का पता लगाकर इलाज किया जा सकता है। यह बात डॉ. रेणु दुबे शर्मा ने कही। वह शहर के प्रतिष्ठित जुपिटर हॉस्पिटल में गाइनाकोलॉजिस्ट ओंको सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है।
गर्ल्स में हार्मोनल इंबैलेंस होने से पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिजीज काफी बढ़ रही है, जो इनफर्टिलिटी का कारण बनती है
उन्होंने बताया कि आजकल यंग गर्ल्स में हार्मोनल इंबैलेंस होने से पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिजीज काफी बढ़ रही है। जिसमें कम समय के दौरान लड़कियों में पीरियड्स आना, ज्यादा ब्लीडिंग होना, 3 से 4 माह में पीरियड्स आना, मोटापा होना, दाढ़ी और मूछों के बाल आना शामिल है। हमारी बदलती लाइफ स्टाइल, खान पान में बदलाव, स्ट्रेस लेवल से महिलाओं में फीमेल हार्मोंस की जगह मेल हार्मोंस का अनुपात बढ़ जाता है। इस वजह से इनफर्टिलिटी के केस में काफी बढ़त हो रही है।
Read More : Indore Breaking : मंदिर में बना हुआ कुआं धंसा, 50 से ज्यादा लोग गिरे, 1 की मौत, पुलिस कमिश्नर मोके पर मौजूद उन्होंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई आरडी गार्डी कॉलेज उज्जैन से की वहीं उन्होंने ओबेस्ट्रिक एंड गाइनाकोलॉजी में मास्टर की पढ़ाई जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज ग्वालियर से की है। इसी के साथ ओंको में गैलेक्सी हॉस्पिटल पुणे फेलोशिप प्रोग्राम किया। उन्होंने देश के कई प्रतिष्ठत हॉस्पिटल में गाइनाकोलॉजी से संबंधित कैंसर डिपार्टमेंट में कार्य किया है।
महिलाओं में पीरियड्स में अनियमितता और अन्य समस्या को नजरंदाज करना ठीक नहीं
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महिलाओं के शरीर में हार्मोनल इंबेलेंस के कारण पीरियड्स में अनियमितता होती है। वहीं कई महिलाओं में सामान्य सफेद पानी डिस्चार्ज होने की समस्या देखने को मिलती है। यह एक समय तक किसी इंफेक्शन या अन्य कारण से हो सकता है, लेकिन इसमें ज्यादा लापरवाही ठीक नही है। हमारी बदलती लाइफ स्टाइल और खान पान का असर इन सब पर पढ़ता है। पहले के मुकाबले अब जनता में जागरूकता बढ़ी है। वह अपने अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि पहले गाइनाकोलॉजी में ओपन सर्जरी होती थी, गाइनाकोलॉजी में कई बार कैंसर से प्रभावित अंगो को निकालना पड़ता है। जिसमें कई लेयर को कट करना होता था। जिससे पेशेंट को रिकवर करने में काफी समय लगता था। लेकिन अब टेक्नोलॉजी के चलते दूरबीन और रोबोटिक सर्जरी से यह संभव है, जिसमें कम समय में पेशेंट रिकवर कर लेता है।