22 सितंबर का इतिहास: गुरु नानक देव जी का करतारपुर में निधन, एक महत्वपूर्ण इतिहासिक घटना

RishabhNamdev
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22 सितंबर 1539 में, सिख संप्रदाय के प्रमुख गुरु नानक देव जी का करतारपुर, जो अब पाकिस्तान में है, में निधन हुआ। इस घटना का महत्वपूर्ण इतिहास है, जो सिख धर्म के आरंभ को चिह्नित करता है।

गुरु नानक देव जी, सिख संप्रदाय के पहले गुरु थे और उन्होंने सिख धर्म की नींव रखी। उन्होंने भारतीय समाज को धार्मिक और सामाजिक उद्धारण की दिशा में मार्गदर्शन किया और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों ने सिख समुदाय को नैतिकता और सेवा के मूल्यों की प्रमुखता दी।

1539 में, गुरु नानक देव जी का करतारपुर में निधन हुआ। करतारपुर वो स्थान है जो अब पाकिस्तान में है और इसे अब “डेरा बाबा नानक” के नाम से जाना जाता है। यह स्थल सिख संप्रदाय के अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि गुरु नानक देव जी ने इसे अपने आखिरी दिनों में सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण आश्रय बनाया था।

गुरु नानक देव जी के निधन के बाद, उनके आगमन के स्थल को “टिपु” के नाम से जाना जाने लगा, जिसमें सिख समुदाय के सदस्य व्यक्तिगत ध्यान और सेवा के लिए आएं।

गुरु नानक देव जी के निधन के बाद, सिख समुदाय ने उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का आदर किया और सिख धर्म को एक महत्वपूर्ण धार्मिक संगठन के रूप में स्थापित किया।

गुरु नानक देव जी का कार्य सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक समर्पण का प्रतीक रहा है, और उनकी शिक्षाएँ आज भी सिख समुदाय के लिए मार्गदर्शन करती हैं।

गुरु नानक देव जी के करतारपुर में निधन का यह समय सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ का आगमन था, जिसका आदर किया जाता है और जिसका महत्व आज भी बरकरार है। उनके आदर्श और संदेश सिख समुदाय के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं, जो उनके निधन के बाद भी जीवंत हैं।