लाखों कर्मचारियों के लिए जरुरी खबर, DA में बढ़ोत्तरी, खाते में बढ़कर आएगी सैलरी

Author Picture
By Meghraj ChouhanPublished On: January 26, 2025
DA Hike

सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है, और अब कर्मचारी उम्मीद कर रहे हैं कि आयोग महंगाई भत्ते (DA) के विलय की सिफारिश करेगा। कई प्रमुख स्टेकहोल्डर्स का मानना है कि बेसिक वेतन में सुधार के साथ DA में बढ़ोतरी को जोड़ा जाए, जैसा कि पहले के वेतन आयोगों में देखा गया था।

5वें वेतन आयोग की सिफारिश

5वें वेतन आयोग ने 1996 से 2006 तक की अवधि में सिफारिश की थी कि जब महंगाई भत्ता (DA) 50% तक बढ़ जाए, तो उसे बेसिक वेतन में समाहित कर लिया जाए। इसके बाद, सरकार ने 2004 में 50% DA को बेसिक वेतन के साथ मिलाने की मंजूरी दी थी, जिससे कर्मचारियों को सैलरी संशोधन में स्थायित्व मिला था।

6वें और 7वें वेतन आयोग में क्या हुआ?

जब 6वें वेतन आयोग का कार्यकाल आया, तो उसने इस सिफारिश को जारी रखने से इनकार कर दिया। हालांकि, 7वें वेतन आयोग ने इस पर सरकार से मंजूरी की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने इसे लागू नहीं किया। शिव गोपाल मिश्रा, ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी ने कहा कि अगर यह सिफारिश लागू की गई होती, तो अब तक कर्मचारियों का वेतन पहले ही संशोधन के योग्य हो चुका होता।

8वें वेतन आयोग से क्या उम्मीदें हैं?

कर्मचारी यूनियन और कई विशेषज्ञ यह मानते हैं कि 8वें वेतन आयोग में 50% DA बढ़ोतरी होने पर इसे बेसिक वेतन में मिलाने की सिफारिश की जाएगी। उनका कहना है कि महंगाई के चलते यह कदम उठाना जरूरी है, ताकि कर्मचारियों को सही वेतन मिल सके।

महंगाई भत्ता (DA) में हाल ही में बढ़ोतरी

अक्टूबर में 3% की बढ़ोतरी के साथ महंगाई भत्ता अब 53% हो गया है। DA को आमतौर पर हर छह महीने में संशोधित किया जाता है, हालांकि कोविड-19 के कारण इसमें काफी समय तक कोई बदलाव नहीं हुआ था। इसके बाद, 2021 में इसे 17% से बढ़ाकर 28% किया गया था।

8वें वेतन आयोग के बाद क्या बदलाव होंगे?

8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद, DA को शून्य कर दिया जाएगा, और इसे हर साल दो बार संशोधित किया जाएगा, जिससे कर्मचारियों को महंगाई का असर बेहतर तरीके से समायोजित किया जा सके।

न्यूनतम वेतन को लेकर क्या सिफारिश की जाएगी?

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन्स (NFIR) के सेक्रेटरी जनरल एम राघवैया का कहना है कि महंगाई को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम वेतन को 36,000 रुपये तक बढ़ाने की सिफारिश की जानी चाहिए। उन्होंने डॉ. अकरोय्ड के फॉर्मूले का हवाला देते हुए कहा कि यह कदम कर्मचारियों की आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से पूरा करेगा।