ऑल अबाउट वुमन’ सिरीज़ के तहत फ़ेमिना ने जारी की भारत की शहरी होममेकर्स पर अपनी रिसर्च रिपोर्ट की दूसरी किश्त

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फ़ेमिना, भारत की अग्रणी महिला ब्रैंड, पिछले छह दशकों से भारतीय महिलाओं की ज़िंदगी का हिस्सा बनी हुई है. फ़ेमिना महिलाओं की ज़िंदगी को बेहतर और आसान बनानेवाले वीडियोज़, फ़ीचर्स और लेखों का भंडार है. ब्यूटी, फ़ैशन, यात्रा, रिश्ते, खानपान, सेहत और फ़िटनेस की जानकारियां देती रही है. अब एक क़दम और आगे बढ़ते हुए फ़ेमिना ने महिलाओं की ज़िंदगी के विभिन्न पहलुओं की जानकारी के आधार पर इसी साल के शुरुआत में ‘ऑल अबाउट वुमन’ नामक एक रिसर्च रिपोर्ट सिरीज़ लॉन्च की थी. जहां इसके रिसर्च रिपोर्ट के पहले संस्करण में मिलेनियल वर्किंग मदर्स की बात की गई थी, वहीं दूसरे संस्करण में फ़ेमिना शहरी भारतीय होममेकर्स यानी गृहणियों की ज़िंदगी पर रौशनी डाल रही है.
शहरी होममेकर्स को मौजूदा समय में सबसे बड़े उपभोक्ता के तौर पर देखा जाता है. इसका कारण साफ़ है, क्योंकि शहरी होममेकर्स आत्मविश्वासी हैं, बिना किसी खेद के अपने फ़ैसले लेती हैं, घर-परिवार के निर्णयों में उनकी राय बेहद अहम होती है. इतना ही नहीं वे अपने संस्कारों से जुड़ी रहकर भी बड़े सपने देखती हैं, उनकी अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं. यह रिसर्च रिपोर्ट फ़ेमिना ने कार्वी इनसाइट्स को अधिकृत किया था. उसके बाद शहरी होममेकर्स की ज़िंदगी पर गहरी पड़ताल और विश्लेषण करके यह रिपोर्ट पेश की गई. पड़ताल के दौरान उनकी ज़िंदगी, उनके सपनों, परिवार के साथ उनके रिश्तों, कोविड-19 के बाद आए बदलावों, भविष्य की आकांक्षाओं और बतौर उपभोक्ता उनकी पसंद-नापसंद का अध्ययन किया गया था.
इस रिसर्च स्टडी में जो बातें सामने आईं, वो क़रीब एक महीने की गहन रिसर्च का नतीजा थीं. रिसर्च टीम ने इस दौरान 8 मेट्रो और नॉनमेट्रो शहरों की 1,200 से अधिक होममेकर्स, 250 पतियों से बातचीत की थी. इन शहरों में शामिल थे-मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ, पटना और अहमदाबाद. सर्व में शामिल महिलाएं संयुक्त और एकल परिवारों से संबंधित थीं. 22 से 45 आयुवर्ग की इन होममेकर्स में 70% ग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट थीं. सभी महिलाएं एनसीसीएस (न्यू कंज़्यूमर क्लासिफ़िकेशन सिस्टम) ए कैटेगरी की थीं. एनसीसीएस ए का मतलब है सबसे अधिक उपभोक्ता सामग्रियां ख़रीदनेवाली कैटेगरी.
फ़ेमिना के ‘ऑल अबाउट वुमन’ सिरीज़ के दूसरे संस्करण के बारे में और बताते हुए दीपक लाम्बा, सीईओ, वर्ल्डवाइड मीडिया ने कहा,‘‘वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया की रफ़्तार अनिश्चित ढंग से थाम-सा दी, जिसका असर व्यापार और परिवार पर देखने को मिला. इस महामारी ने लोगों की व्यक्तिगत ज़िंदगी को भी प्रभावित किया है. और इस पूरे समय अगर महामारी से सबसे अधिक कोई प्रभावित हुआ तो वो थीं होममेकर्स. उन्हें अपनी पेशेवर, निजी और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बीच सामंजस्य बिठाना पड़ा. फ़ेमिना के ऑल अबाउट वुमन रिपोर्ट के दूसरे संस्करण में शहरी होममेकर्स के इस अनकहे योगदान, संघर्ष और महत्व को रेखांकित किया गया है. यह उनके लाइफ़स्टाइल, वित्तीय आकांक्षाओं, पेशेवर विकास, पारिवारिक समीकरणों और निजी पसंद में आ रहे बदलावों को परिभाषित करता है. हमारी कोशिश थी इन बदलावों को पहचानना, उनके व्यवहार का आकलन करना और इस बदली हुई शहरी भारतीय होममेकर के नए रूप से रूबरू कराना. हमें उम्मीद है कि हमारे विज्ञापन सहयोगियों को हमारी इस ताज़ातरीन रिसर्च से मदद मिलेगी और वे भारत की शहरी महिलाओं से और क़रीब व बेहतर ढंग से जुड़ सकेंगे.’’
इस रिपोर्ट के बारे में आगे बताते हुए, रुचिका मेहता, संपादक, फ़ेमिना ने कहा,‘‘शहरी होममेकर्स किसी भी परिवार की रीढ़ की हड्डी की तरह होती हैं. उन्हें अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का सही श्रेय नहीं मिलता. अपनी इस रिपोर्ट के माध्यम से हम एक संवाद शुरू करना चाहते हैं, जो एक पुल का काम करेगा और हमें यह समझने में मदद करेगा कि वे यानी शहरी होममेकर असल में कौन हैं, उनकी पसंद-नापसंद क्या है और उनकी लाइफ़स्टाइल कैसी है. यह सर्वे उनकी भावनाओं, उनके सपनों को समझने की कोशिश है. यह उनके और उन ब्रैंड्स के बीच की दूरी को कम करने का काम करेगा, जो शहरी होममेकर्स के लिए काम करना चाहते हैं.’’

जानें भारतीय शहरी होममेकर्स को
आज के ज़माने में होममेकर्स ख़ुद को प्रो-होम-मैनेजर के तौर पर देखती हैं. वे अपनी ज़िम्मेदारियों को लेकर कॉरपोरेट में काम करनेवाली महिलाओं की तरह गंभीर और मेहनती हैं. उनका यह चेहरा पारंपरिक गृहणियों से अलग है.
उन्हें टेक्नोलॉजी से प्यार है. वे अपने घर की आधारशिला हैं. वे तमाम चुनौतियों के बीच अपने घर में ख़ुशियों के इंडेक्स को नीचे नहीं आने देतीं.

होममेकर्स की दुनिया और कोविड-19 का प्रभाव

कोविड-19 इस महामारी ने वर्ष 2020 में देशभर के परिवारों की जीवनशैली को बदल दिया है. चूंकि महीनों तक घरों में रहना पड़ा तो होममेकर्स के लिए खाना पकाना और किचन की ज़िम्मेदारियां संभालना तनाव बढ़ानेवाले काम साबित हुए. ख़ासकर जब इस काम को परिवार के दूसरे सदस्यों की मदद के बिना करना पड़ा. महिलाओं द्वारा ओटीटी प्लैटफ़ॉर्म के कंटेंट कंज़्यूम करने और सोशल मीडिया ऐप पर समय बिताने में इज़ाफ़ा देखने को मिला. बड़े शहरों की होममेकर्स की पैकेज़्ड सामानों पर निर्भरता बढ़ी. जैसे इम्यूनिटी बढ़ानेवाले चूर्ण, वही नॉन-मेट्रो सिटीज़ की महिलाओं ने घरेलू नुस्ख़ों पर ज़्यादा भरोसा दिखाया. जहां लॉकडाउन ने शारीरिक और मानसिक सेहत दोनों को ही प्रभावित किया, पर उसका असर मानसिक सेहत पर ज़्यादा देखने को मिला. इस दौरान आई चुनौतियों ने पति-पत्नी के रिश्ते को और मज़बूत किया है.

उपभोक्ता के तौर पर शहरी होममेकर्स और नौकरी करने की उनकी आकांक्षा

टेक्नोलॉजी प्रेमी होममेकर्स ऑनलाइन शॉपिंग पसंद करती हैं. उन्हें ऑनलाइन सेल्स और डिस्काउंट पसंद हैं. वे ब्रैंड्स को लेकर सजग हैं. वहीं नॉन-मेट्रो होममेकर्स ने भी ई-कॉमर्स को अपना लिया है, पर वे ऑफ़लाइन शॉपिंग के अनुभव को भी मिस करती हैं.
सोशल मीडिया ट्रेंड्स और ई-कॉमर्स बूम ने उन्हें ब्रैंड्स की जानकारी दी है और ब्रैंड्स अब उनकी पहुंच में भी हैं.
एक तिहाई से अधिक होममेकर्स नौकरी करना चाहती हैं. हालांकि वैवाहिक ज़िम्मेदारियां अब भी पेशेवर करियर पर भारी पड़ रही हैं. वहीं ज़्यादातर पुरुष चाहते हैं कि महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो जाएं. 64% होममेकर्स शादी के पहले या शादी के ठीक बाद अपनी नौकरी छोड़ दी थी.
निवेश
70% होममेकर्स रुपए-पैसे यानी फ़ायनांस के बारे में काफ़ी कुछ जानती हैं, पर अपने निवेश संबंधी फ़ैसलों से पहले पति या दूसरों की राय ज़रूर लेती हैं. निवेश के मामले में वे सोना, बैंक डिपॉज़िट्स, लाइफ़ इंश्योरेंस जैसे सुरक्षित विकल्पों को वरीयता देती हैं.
फ़ेमिना के नवंबर अंक में ‘ऑल अबाउट वुमन’ सिरीज़ के दूसरे संस्करण की जानकारियां आपको पढ़ने मिलेंगी. इस अंक में आप शहरी होममेकर्स की ज़िंदगी से रूबरू हो सकेंगी. यह अंक फ़ेमिना की उस फ़ोकस्ड कंटेंट रणनीति को समझने में मदद करेगा, जो इस बात पर आधारित है कि महिलाएं वास्तव में क्या चाहती हैं.