कोरोना की दूसरी लहर का कहर कम करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरी सरकार, प्रशासन और अपने परिवार के साथ जुटे हुए हैं। इस मुद्दे पर आलोचना और प्रशंसा की दोधारी तलवार पर हैं। जरा सी चूक कोरोना संक्रमण में इजाफा के ढेर भरे खतरे भी ला सकती है।
कोरोना जैसी आपदा से लड़ने के लिए वे न केवल खुद दिन-रात लगे है बल्कि शासन व समाज की हरेक संस्था को सक्रिय कर रहे हैं। यूपी के सीएम योगी और दिल्ली के केजरीवाल को कॉपी करने के बजाए उनसे भी ज्यादा प्रभावी बनने का प्रयास उनके मुद्दों को जन जाग्रति की तरफ मोड़ रहा है।
शिवराज जी की जागृति रैली, जनता से संवाद और उसके साथ गांधी प्रतिमा के सामने उपवास जैसे प्रयोग सियासत और समाज में खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं…समाज, शासन और सियासत में इसके अपने जोखिम भरे प्लस- माईनस हैं। नुस्खा सफल हुआ तो हीरो नही तो ज़ीरो…शिवराज सिंह इस तरह के मामले में खतरों के खिलाड़ी हैं…
बस इसके साथ जरूरत है तो राजनीति और समाजसेवा करने वाले को गली- मोहल्ले से लेकर गांव देहात में मास्क के साथ सेनेटाइजर की 50 -100 एमएल. की शीशियां बांटने की। भाजपा, युवा मोर्चा, कांग्रेस- सेवादल और संघ परिवार को इस काम के लिए मोर्चे पर लगाने की।
शहरों में बड़े अस्पतालों के साथ मोहल्लों में क्लिनिक में तुरन्त कोरोना जांच के साथ एनजीओ के जरिए दवा का किट, मास्क व सेनेटाइजर बांटने की जरूरत है। इस काम को जनता से जुड़े रहने वाले सीएम शिवराज इन कामों को आसानी से अभियान बना सकते हैं। उनकी इसमें विशेषज्ञता है। वे इसके मार्फ़त मुल्क में मिसाल भी बन सकते हैं।
(प्रसंगवश/राघवेंद्र सिंह)