आजकल बड़ों को छोड़ बच्चों को भी स्मार्टफोन चलाने का बहुत शौक है। इसके कारण बच्चे ना लोगों से मिलना जुलना पसंद करते है और ना ही लोगों के साथ उठना बैठना पसंद करते हैं। ऐसे में अपने करियर को लेकर बच्चें लापरवाह होते जा रहें हैं। इस कारण बच्चे अपने माता-पिता की बात भी नही मानते हैं। बच्चों में स्मार्टफोन को लत बढ़ जा रही हैं। इससे युवा बीमारियों से घिराने के साथ साथ अपने करियर में भी ज्यादा कुछ कर नहीं पा रहे है। माता-पिता की बात न मानने से भी युवाओं जीवन में कई बार असफलता हाथ लगती है। चलिए फिर जानते है कि किस तरह माता-पिता बच्चों से बातचीत करें।
बच्चों का ध्यान आकर्षित करें
आप जब तक बच्चे का ध्यान आकर्षि नही कर पाते तब तक वो आपकी बात नही सुनेगा। इसलिए सबसे पहला काम अपनी जरूरी बात से पहले उसका ध्यान आपकी बात पर होना चहिए। विषय वैज्ञानिकों की माने तो जब आप किसी से व्यक्तिगत तौर से जुड़ा हुआ महसूस करते है तो आपको उनकी बातें ज्यादा अच्छे से समझ आते हैं।
जब भी आप बच्चों से बातचीत करें तो उनके साथ जुड़ा हुआ महसूस कर उनसे आंखो में देख कर बात करें। थोड़े समय के लिए अपना और बच्चे का मोबाइल फोन दूसरे कमरे में रख देवें जिससे आपकी बात में कोई भी डिस्टर्बेंस न हो । फिर अपने बच्चे के साथ बैठकर बातचीत करें।
सीधी बात करें
ज्यादातर समय माता-पिता बच्चों को कटाक्ष या ताना देकर अपनी बात बोलते है। किसी और बच्चे से कंपेयर करते है। जबकि ऐसा बिल्कुल भी नही करना चाहिए।इससे बच्चे का मॉरल डाउन होता है। आपको जो भी बात करनी है या कहनी है टू द प्वाइंट बात करें। लंबे और बड़े शब्दो से अपनी बात कहने से बचे। उसकी जगा सीधी और सरल भाषा में अपनी बात समझाए। इससे बच्चे जल्दी और आसानी से आपकी बात समझ पाएंगे।
सही और उचित शब्दो का प्रयोग करें
अपने बच्चो से बात करने के दौरान ये याद रखें की आपको उनसे सकारात्मक और अच्छे शब्दो का ही प्रयोग कर बात समझानी है। अगर आप दूसरी असहज भाषा का प्रयोग करेंगे तो इससे आपको ही दिक्कत हो सकती है। बच्चे प्यार की भाषा बहुत अच्छे से समझते है। अगर बिना किसी नकारात्मक बातों के आप बच्चों को अपनी बात समझाएंगे तो बच्चे आसानी से समझेंगे। बिना चिल्लाएं बच्चों से बात करें उन्हे प्यार से समझाएं।