Chandra Grahan 2021: जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में आए बिना ही बाहर निकल आता है, तो इसे उपछाया ग्रहण कहा जाता है। वहीं जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है तो पूर्ण चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है। उपछाया ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होता है। चंद्र ग्रहण जब पूर्ण होता है तो सूतक काल 9 घंटे पूर्व से आरंभ होता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अंतरिक्ष में लगने वाले ये ग्रहण राशियों को प्रभावित करते हैं और नवंबर माह में लगने वाला साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी राशियों पर असर डालने वाला है। आज हम आपसे इसी चंद्र ग्रहण के बारे में बात करने वाले हैं, जहां हम जानेंगे लगने वाले चंद्र ग्रहण की तारीख, समय, सूतक काल और किन राशियों पर पड़ेगा असर के बारे में..
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आपको बता दें कि साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 (शुक्रवार) को लगेगा। 19 नबंवर को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस बार कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को चंद्र ग्रहण लग रहा है। चंद्र ग्रहण की घटना को ज्योतिष शास्त्र में काफी महत्वपूर्ण माना गया है।
इस राशि के जातक रहें सावधान:
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, यह चंद्रग्रहण वृष राशि और कृतिका नक्षत्र में लगेगा। इसलिए वृषभ राशि वालों के लिए यह चंद्र ग्रहण ठीक नहीं रहेगा। इस राशि के जातकों को किसी से वाद-विवाद और फिजूल खर्चों से बचने की सलाह दी जाती है। यदि संभव हो सके, तो इस अवधि के दौरान वृष राशि के जातक एकांत में रहकर प्रभु का ध्यान करें। ऐसा करने से मन शांत रहेगा और ये कठिन समय आसानी से गुजर भी जाएगा।
ग्रहण का इन राशियों पर पड़ेगा शुभ प्रभाव:
बता दें जब भी कोई खगोलीय घटना होती है तो वह किसी के लिए अशुभ तो किसी के लिए शुभ साबित होती है। साल का आखिरी चंद्र ग्रहण तुला राशि, कुंभ राशि और मीन राशि वालों के लिए शुभ साबित होने वाला है। बता दें इन राशि के लोगों को कार्यों में सफलता हासिल होगी। वहीं करियर में तरक्की मिलने के संकेत है। इस दौरान नए अवसर प्राप्त होंगे। यदि नौकरी बदलता चाहते हैं तो अच्छे ऑफर प्राप्त हो सकते हैं। बता दें व्यापार करने वाले लोगों को भी लाभ मिलेगा।
ये होता है उपछाया ग्रहण:
चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं। चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्र ग्रहण माना जाता है। उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है। ज्योतिष में भी उपछाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है।