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मन की अयोध्या…!
सब के हैं राम…सब में है राम…भूमिपूजन के शुभ प्रसंग पर मोदी जी से ज्यादा सारगर्भित बात मोहन भागवत जी ने कही… संघ प्रमुख ने आनंद के इस क्षण में
राम पर मोदी का अद्भुत भाषण लेकिन…
डॉ. वेदप्रताप वैदिक अयोध्या में राम मंदिर के भव्य भूमि-पूजन का कार्यक्रम अद्भुत रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में जैसा पांडित्य प्रकट हुआ है, वह विलक्षण ही है। किसी
चित्रकूट : जहां पर राम ‘युगीन’ बन गए!
आस्था/जयराम शुक्ल संवत 2077, भाद्रपद कृष्णपक्ष द्वितीया, बुधवार तदनुसार 5 अगस्त 2020 की तिथि इतिहास में एक युगांतरकारी प्रसंग के साथ दर्ज हो गई। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि अयोध्या
सबकी अपनी दक्षिणा
अमितमंडलोई भूमिपूजन करा रहे पुरोहित ने समाप्ति की बेला में कहा- यज्ञ की पत्नी दक्षिणा है। यज्ञ और दक्षिणा के मिलन से फल की प्राप्ति होती है। उन्हें इस अवसर
उत्तर-कांड: क्या भविष्य सिर्फ मूंछ वालों का ही है ?
अजय बोकिल क्या मुददों की भी कोई आकारिकी होती है? ये सवाल जेहन में इसलिए आया कि अमूमन इस देश में बहस के मुद्दे या तो सेक्युलर होते हैं या
राम जन्मभूमि के लिए हुई 78 लड़ाईयां, 1990 में हुई पहली कारसेवा
प्रभु श्री राम मन्दिर निर्माण ऐतिहासिक दिवस के पूर्व संध्या पर मित्र मेला वेलफेयर सोसाइटी द्वारा “श्री राम मंदिर निर्माण से राष्ट्र निर्माण” विषय पर व्याख्यानमाला आयोजित की गई। जिसमें
कारसेवक सत्यनारायण मौर्य के एक नारे ने विश्व हिंदू परिषद् को दी थी नई दिशा
अंतर्राष्ट्रीय कलाकार सत्य नारायण मौर्य जिनके एक नारे ने विश्व हिन्दू परिषद को एक नई दिशा दी – “राम लला हम आएंगे, मंदिर वही बनाएंगे” द्वारा राम जन्म भूमि
कांग्रेस के मित्रों को माफ कर दो, देर से ही सही दुरुस्त आने पर घी के दिए जलाओ : गोविन्द मालू
गोविन्द मालू जो हम चाहते थे, वही हो रहा है। राम मंदिर मामले में काँग्रेस के रुख में परिवर्तन आल्हादित करने वाला है। “”सिया राम मैं सब जग जानी””में भरोसा
एक याद उस ‘ईंट’ की, जो ‘राम रथ यात्रा’ ने रखी थी !
अजय बोकिल अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास के साथ ही तीन दशकों का वो ऐतिहासिक चक्र अपनी पूर्णता को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेगा, जिसकी पहली धार्मिक-राजनीतिक र्ईंट
‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ को लेकर दिलचस्प जंग
दिनेश निगम ‘त्यागी’ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम किसके, संघ-भाजपा-विहिप के या कांग्रेस सहित देश के हर सख्श के। आने वाले समय में इसे लेकर दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल सकती
छ:सौ अरब बनाम पांच रूपये रोज
अनिल त्रिवेदी साठ से सत्तर के दशक में देश की लोकसभा में पहुंचे, भारत की आजादी तथा समाजवादी आन्दोलन के नेता डा.राममनोहर लोहिया ने लोक सभा में सवाल उठाया था,
मंदिर निर्माण का श्रेय इतिहास में किसके नाम दर्ज होगा ?
श्रवण गर्ग चौबीस जुलाई के दिन जब लगभग पांच लाख की आबादी वाले अयोध्या में मंदिर निर्माण के भूमि पूजन की तैयारियों के साथ-साथ शहर की कोई बीस मस्जिदों में
राजनीति में नवीन नेतृत्व
कमलगुप्ता “विश्वबंधु “ सभी राजनेतिक पार्टियों में समय समय पर पुराने नेतृत्व की जगह नया नेतृत्व उभर कर अपना स्थान बनाता आया है। जिस भी पार्टी ने नये नेतृत्व को
किशोर कुमार की जन्म जयंती 4 अगस्त पर विशेष
निशिकांत मंडलोई गायकी के साथ अभिनय में भी रुतबा था किशोर दा का ऐसा कहा जाता है कि हर जीनियस व्यक्तित्व कुछ सिरफिरा होता है लेकिन, यही सिरफिरापन उस व्यक्ति
उधर भाजपा के ‘राम’, इधर कांग्रेस के ‘कौशल्या’ और ‘हनुमान’…!
अजय बोकिल अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास की शुभ घड़ी जैसे-जैसे करीब आती जा रही है, वैसे- वैसे जहां समारोह निमंत्रण सूची भी बढ़ती जा रही है, वहीं ‘राम परिवार’
अजब आलम है, कुछ शहर बंद हैं और कुछ खुले होकर भी ‘बंद” नजर आते हैं
आशीष दुबे वे सारे प्रवाह थम गये हैं जिनमें शहर-कस्बे के लोग तैरते थे।इससे कहीं बोरियत उपजी है तो कहीं निराशा और कहीं गहरा अवसाद। वैसे बोरियत आजकल एक ग्लैमरस
पूरी कहानी पढ़िए की ये कोरोना की पहली, दूसरी व तीसरी स्टेज क्या होती हैं?
पहली स्टेज विदेश से X आया। एयरपोर्ट पर उसको बुखार नहीं था। उसको घर जाने दिया गया। पर उससे एयरपोर्ट पर एक शपथ पत्र भरवाया गया कि वह 14 दिन
लोकतंत्र के तंत्रलोक का तिलस्म
जयराम शुक्ल देश की राजनीति में नागनाथ-सांपनाथ के दो पाले हैं, बुद्धिविलासी पलायनवादी अक्सर यही कहा करते हैं। पर अपने भैय्या जी इन दोनों से ऊपर हैं। राजनीति में तीसरा
सारंगपुर तहसीलदार पुत्र ने किया देश का नाम रोशन
सारंगपुर तहसीलदार भूपेंद्र कैलासिया के पुत्र प्रभास कैलासिया ने 11 वर्ष की उम्र में कराटे चेम्पियनशिप में सेमी फाइनल में बांग्लादेश एवं फाइनल में ईरान को हराकर गोल्ड मेडल जीता
राम मंदिर और मोदी : फर्क ‘संवैधानिक मर्यादा’ व ‘लोक मर्यादा’ का
अजय बोकिल यह महज संयोग नहीं है कि अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम राम के मंदिर के शिलान्यास पर संवैधानिक मर्यादाओ के पालन और उनके औचित्य पर सवाल उठ रहे हैं।