आर्टिकल
आधुनिक हाथ की घट्टी “अनास” का अनाज जीवन को रखेगा स्वस्थ
इंदौर: आज हम आपको शिवगंगा कार्यकर्ता विजेन्द्र सिंह अमलियार के द्वारा रचित ‘आधुनिक हाथ की घट्टी – जिसका नाम है ‘अनास’, उसके नए रूप में बनाने की अमुभूति और उनके
रविवारीय गपशप- “रीड बिटवीन दी लाइन”
अंग्रेज़ी में एक कहावत है , “रीड बिटवीन दी लाइन” , याने वो पढ़ो जो नहीं लिखा गया है और जो लिखे में ही कहीं छिपा है | बहुधा शायरो
राजनीति के अजातशत्रु – नंदू भैया
जय नागड़ा “बात 13 अप्रेल 1999 की है जब मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खण्डवा जिले के ग्राम पुरनी में एक जनसभा में इंदिरासागर बांध के मुआवजों को
राजबाड़ा 2 रेसीडेंसी : बात यहां से शुरू करते हैं
अरविंद तिवारी • कांग्रेसी मत बनो… अपने ही सरकार के खिलाफ गाहे-बगाहे तीखे तेवर अख्तियार करने वाले कृषि मंत्री कमल पटेल को पिछले दिनों संघ ने सख्त हिदायत दे डाली।
राजनीति में ‘अजातशत्रु’ थे नंदू भैया…!
राजेश राठौर भाजपा सांसद नंदकुमारसिंह चौहान केंद्रीय मंत्री बनना चाहते थे। पार्टी ने मध्यप्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया था। निमाड़ की राजनीति में भाजपा का बड़ा चेहरा थे। नंदू भैया
राज-काज: माननीयों का यह रवैया कितना जायज….
दिनेश निगम ‘त्यागी’ माननीयों अर्थात विधायकों, मंत्रियों का रवैया कई बार गंभीर मसलों पर कितना आपत्तिजनक और घातक होता है, इसका उदाहरण है कोरोना गाइडलाइन के पालन के संदर्भ में
लोकतान्त्रिक अनुष्ठान के खिसकते आधार
राजेश बादल पाँच प्रदेशों में अगली विधानसभा के लिए चुनाव की तारीख़ों का ऐलान अब दूर नहीं है। वैसे भी पन्ने पलटकर पिछले निर्वाचन का कार्यक्रम देख लिया जाए तो
क्रांति के स्वरों का उद्घोष करती तराना, पत्रकारिता की यादगार प्रस्तुति से झूम उठे दर्शक
इंदौर। स्वतंत्र संग्राम से लेकर पत्रकारिता सिर्फ पत्रकारों ने ही अखबारों में ही नहीं की बल्कि कवियों ने भी अपने समय की पीड़ा और जनभावना को स्वर देकर वाचिक परम्परा
“छत्रपति शिवाजी महाराज का वो ऐतिहासिक पत्र जो औरंगजेब के कारिंदे गद्दार राजा जय सिंह के नाम था”
जन्मजयंती/जयराम शुक्ल आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है। छह साल पहले जब “शिवाजी का पत्र मिर्जा राजा जय सिंह के नाम” को केंद्र में रखते हुए महाप्राण निराला की
33 साल तक सरसंघचालक रहे गुरुजी ने दिया संघ को ये स्वरूप
गोविन्द मालू राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक परम पूजनीय माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर श्री “गुरुजी” का आज जन्म दिन है। उन्हें कोटि कोटि नमन। आज ही के दिन नागपुर के
छत्रपति श्री शिवराया
गतिहीन राष्ट्र को जो दे गति वो शिवराया है वो छत्रपति ।। जीजा माता के संस्कार से दूर रहा जो सदा विकार से स्वामी समर्थ का रहा आशीर्वाद कोंडोबा की
अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट ने हाइजेक की रियासतकालीन सड़क, हादसे की सबसे बड़ी वजह
पुष्पेन्द्र वैद्य सीधी। सीधी बस हादसे के पीछे सबसे बड़ी वजह लंबे वक्त से लगने वाला जाम है। इसी जाम से बचने के लिए बस चालक ने उस रास्ते का
सब्ज़ी बेचने वालों को स्ट्रीट बेंडरो योजना का लाभ दिलाया जाएगा-तुलसीराम सिलावट
जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट आज इंदौर जाते समय सांवेर क्षेत्र के शिप्रा में लोगों से मिले और उनसे चर्चा हाल-चाल जाना और पूछा कि काम- धंधा कैसा चल रहा
डिजिटल इंडिया..तेरी तो.. बस जय हो
साँच कहै ता/जयराम शुक्ल डिजिटल फ्राड..! कंप्यूटर युग की शुरुआत में जो आशंका थी इस डिजिटल युग में अब यथार्थ है। एक जानकारी के अनुसार भारत में डिजिटल फ्राड की
“लॉकडाउन को फिर से लागू किया जाए या नहीं यह लोगों के हाथ में”- मेयर किशोरी पेडनेकर
मुंबई: महानगरी मुंबई की जनसंख्या अन्य राज्यों से कई गुना ज्यादा है,इसके कारण यहाँ कोरोना के बढ़ने का खतरा और भी बढ़ जाता है। दरअसल कोरोना महामारी के समय मेट्रो
किसान आंदोलन: कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना
ज्वलंत/जयराम शुक्ल कृषि सुधार कानून, उससे उपजे आंदोलन में छिपी हुई मंशा और उससे आगे की बात करें, उससे पहले मेरी अपनी बात। वह इसलिए कि आपनी भी गर्भनाल खेत
रूपगर्विता
तुम शताब्दी एक्सप्रैस गर्व से भरी सुख सुविधा संपन्न नित्य गुजर जाती हो मुझ पर से । मैं एक छोटा सा गुमनाम सा रेलवेस्टेशन तनिक भी कभी देखा नही तूने
क्या देश भर के पत्रकारिता कालेजों को बंद कर देना चाहिए ?
हिंदी पत्रकारिता का संकट – 6 अर्जुन राठौर अब समय आ गया है कि इस बात पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए कि क्या देशभर के पत्रकारिता कालेजों को बंद कर
दूसरों की जय से पहले खुद की जय करें!
जयराम शुक्ल माघ का महीना बड़ी पुण्याई का होता है। सूर्यभगवान उत्तरायण की ओर प्रस्थान करते हैं। इस महीने का महात्म्य इसी से जान लीजिए कि भीष्मपितामह शरशैय्या पर पड़े-पड़े
कोरोना काल ने स्वतंत्र पत्रकारिता को ही समाप्त कर दिया
हिंदी पत्रकारिता का संकट- 5 अर्जुन राठौर इसमें कोई दो मत नहीं है कि कोरोना काल ने हिंदी की स्वतंत्र पत्रकारिता के अस्तित्व पर भी गंभीर प्रश्न चिन्ह लगा दिए