आर्टिकल
दो दिन सरकार के पांच जनप्रतिनिधियों के, ऐसे सात दिन का हुआ लॉकडाउन
कीर्ति राणा इंदौर: बढ़ते जा रहे कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सात दिन की सख्ती वाले निर्णय से आमजन हैरान हैं।सामान्यजन भी मानसिक रूप से खुद को 60
लॉक डाउन थमा है कोरोना नहीं
धर्मेंद्र पैगवार भोपाल: दोस्तों सोमवार की सुबह 6: 00 बजे से 60 घंटे का लॉक डाउन खत्म हो जाएगा। इसका मतलब यह नहीं है कि को रो ना खत्म हो
सच के शीर्षासन पर झूँठ का झंडा
साँच कहै ता/जयराम शुक्ल हमारे शहर में पुराने जमाने के खाँटी समाजवादी नेता हैं- दादा कौशल सिंह। खरी-खरी कहने में उनका कोई सानी नहीं। बात-बात में वे एक डायलॉग अक्सर
दूसरे लॉक डाउन की जकड़ में आ चुका इंदौर शहर
अतुल शेठ इंदौर शहर दूसरे लॉक डाउन की जकड़ में आ चुका है।यह समय है जब हमें विचार करना चाहिए कि, पहले लॉक डाउन से लेकर मध्य काल से लेकर
बाबूजी कहते थे कार्यकर्ता से दूर हुआ तो मैं नेता नहीं
राजेश राठौर सहकारिता में सुभाष यादव ने जगह बनाई थी, तो दूसरा नाम रामेश्वर पटेल का था। मालवा-निमाड़ के सहकारिता के बड़े नेता थे। इंदौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक में रोज
राजनीतिक तरीके से लडकर कोरोना से नहीं जीतेगी सरकार…
ब्रजेश राजपूत मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2108 पर लिखी मेरी किताब “ चुनाव है बदलाव का” , में मैंने बीजेपी की हार के कारणों का जब ब्यौरा लिखा तो उसमें एक
राज्यसभा में जाने की हसरत अधूरी रह गई…!
राजेश राठौर महेश जोशी जिनको सब काका कहते थे, उनके बारे में लिखने में तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है, लेकिन कहां से लिखना शुरू करें और कहां खत्म
मोघे ने की रेसीडेंसी पर कलेक्टर से मुलाकात, वर्तमान परिस्थितियों पर हुई विस्तार से चर्चा
रेमडेसीविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन की कमी,अस्पतालों में बेड की संख्या,टेस्टिंग को लेकर सरकार द्वारा तय रेट का सख्ती से पालन,शहर में भीड़ को नियंत्रण करने व लॉकडाउन, आदि विषयों पर चर्चा
एक जमीनी और हेकड़ नेता महेश जोशी
कीर्ति राणा आज जब कोरोना काल की बढ़ती जा रही त्रासदी का कारण हर स्तर पर चल रही कथित लापरवाही को माना जा रहा है तब आमजन यह कहने से
स्मृति शेष: सच्चाई की दमदार बेबाक आवाज थे महेश जोशी
सतीश जोशी इंदौर की राजनीति में साफ, सपाट और बेधड़क अपनी बात कहने वाले शेर ए इंदौर महेश जोशी नहीं रहे। कांग्रेस की लोकल से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में धाक
पारिवारिक मुश्किलों से देश गुज़र रहा है, जिस पर गुज़र रही है उसके आँसू कौन पोंछेगा?
देवेन्द्र बंसल आज देश फिर महामारी के संकट के दौर से गुज़र रहा है ।महाराष्ट्र ,दिल्ली ,छतीसगढ़ मध्यप्रदेश में स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। घरों में क़ैद रहकर कब
रिंग रोड और बॉम्बे हॉस्पिटल महेश जोशी की देन
प्रमोद दीक्षित कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में सुमार रखने वाले महेश जोशी की बेबाकी से प्रदेश सहित कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता कार्यकर्ता भली-भांति परिचित थे। इसलिए कोई भी उनके सामने
स्मृति शेष- महेश जोशी
इतनी बेबाक बात महेश जोशी जैसा नेता ही कर सकता था। मैं दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता था और राजकुमार केसवानी हमारे संपादक थे। इंदौर विकास प्राधिकरण के संचालक मंडल
संगठन की राजनीति के पुरोधा और कुशल प्रशासक महेश जोशी को नमन
– निर्मल सिरोहिया मप्र की राजनीति का एक अद्भूत सितारा अस्त हो गया। महेश जोशी नामक इस संवेदनशील राजनीतिक ने संगठन से लेकर सत्ता तक पदों को कभी खुद पर
वैक्सीन- केंद्र सरकार पारदर्शी बनो
लेखक – एन के त्रिपाठी देश में कोविड-१९ के मामले जिस बेतहाशा तरीक़े से बढ़ रहे हैं, उसकी वजह से जनता और नेताओं में दशहत का माहौल होना स्वाभाविक है।
संभागायुक्त ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए अधिकारियों को सौंपे दायित्व
इंदौर: संभाग में बढ़ रहे कोरोना मामलों को दृष्टिगत रखते हुये ऑक्सीजन की आपूर्ति सूचारू रूप से बनाये रखने के लिये संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा द्वारा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों
राज्य शासन द्वारा कोरोना जांच को लेकर निर्धारित की गई दरें
इंदौर: राज्य शासन द्वारा विभिन्न निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम्स, डायग्नोस्टिक सेंटर आदि में कोरोना संबंधी जॉचों की दरें निर्धारित की गई हैं तथा निर्देश दिए गए हैं कि निर्धारित शुल्क
जरूरतमंद गरीब देशों को टीका निर्यात कीजिए इसे ब्रांडिंग का मौका मत बनाइए, लाखों दूसरे अवसर आएंगे
मुकेश माथुर ‘वो बाहर कैजुअल्टी में कोई मरने की हालत में रहा, तो उसे फॉर्म भरना जरूरी है क्या?’ मुन्नाभाई के इस सवाल की तरह ही एक सवाल- ‘मेरे देश
राजधानी से लेकर इंदौर तक अंधों के हाथी जैसे हालात
कीर्ति राणा कोरोना यूं तो पूरे विश्व में चल रहा है लेकिन मध्य प्रदेश में सरकार से लेकर अधिकारी और जनप्रतिनिधि अपने अंदाज में कोरोना को चला रहे हैं।संपट नहीं
निहायत घटिया है ये ‘कोविड वैक्सीन पॉलिटिक्स’…!
अजय बोकिल महत्वपूर्ण यह नहीं है कि ये राजनीति कौन कर रहा है, दुखद यह है कि कोरोना वैक्सीन जैसे अत्यंत संवेदनशील और इंसानी जिंदगी को बचाने के मुद्दे पर