ब्रिटेन के नए राजा किंग चार्ल्स III की इस साल मई के महीने में ताजपोशी की जाएंगी। उनके साथ उनकी पत्नी कैमिला भी ब्रिटेन की महारानी बनेगी। लेकिन उन्होंने महारानी बनने से पहले यह फैसला लिया है कि वो कोहिनूर जड़ा ताज नहीं पहनेगी। दरअसल, इस साल महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद कोहिनूर हीरे से जड़ा ताज किंग चार्ल्स तृतीय की पत्नी क्वीन कंसोर्ट कैमिला को दिया गया था।
लेकिन बकिंघम पैलेस ने एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि 6 मई को होने वाली ताजपोशी में यह ताज नहीं पहना जाएगा। जिसका कारण यह बतया जा रहा है कि शाही परिवार किसी भी प्रकार के विवादों से दूर रहना चाहता है जिसकी वजह से शाही परिवार ने यह फैसला लिया है। जिसके बाद अब क्वीन मैरी का यह ताज टावर ऑफ लंदन से हटाया जाएगा और इसमें जड़े रत्नों में कुछ बदलाव किए जाएंगे।
बता दें, इस ताज को सबसे पहले 1661 में किंग चार्ल्स द्वितीय के लिए बनाया गया था। उससे पहले जो ताज चार्ल्स द्वितीय के पास था वह इंग्लैंड के गृह युद्ध में नष्ट हो गया था। जिसके बाद एलिजाबेथ द्वितीय ने भी अपनी ताजपोशी के वक्त यही ताज पहना था। हालांकि अन्य राजा अपने लिए अलग-अलग तरह के ताज बनवाते रहे हैं। कोहिनूर जड़ा यह ताज 100 साल से भी अधिक पुराना है इसे 1911 में क्वीन मैरी ने पहना था।
गौरतलब है कोहिनूर दुनिया का सबसे शुद्ध या सबसे बड़ा हीरा तो नहीं है लेकिन इसे दुनिया के सबसे विवादास्पद हीरा रहा है। इतिहासकारों का मानना है कि इस हीरे को 1739 में ईरानी शासक नादिर शाह से भारतीयों ने छीना था। जिसके बाद अनेक युद्धों और लूटपाट के दौरान कोहिनूर के अलग अलग राजाओं के पास रहा और 1846 में जब पंजाब पर अंग्रेजों की जीत हुई तब यह तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर जनरल के पास आ गया। हालांकि जिस समय लॉर्ड डलहौजी ने जिस लाहौर संधि के तहत पंजाब को हासिल किया था, वह पंजाब के महाराजा दिलीप सिंह के साथ हुई थी उस समय दलीप सिंह की आयु मात्र पांच साल थी। तब से लेकर आज तक भारत इस हीरे पर अपना मलिकाना हक जताता रहा है। शायद यही कारण हैं कि इतने विवादों से घिरे हीरे को ब्रिटेन की नई महारानी नहीं पहनना चाहती है।