दिल्ली : डकैतों से दोस्ती भी की लेकिन सपा नहीं जीत सकी कभी यहां चुनाव

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नई दिल्ली: यूपी की राजनीति में समाजवादी पार्टी का भले ही वर्चस्व रहा हो या फिर जीत का परचम चार बार लहराया, बावजूद इसके सूबे में एक सीट ऐसी भी रही है जिस पर सपा ने कभी भी जीत हांसिल नहीं की। हालांकि पार्टी ने इसके लिए डकैतों से दोस्ती भी की वहीं डकैत को टिकट देकर चुनावी मैदान में भी उतारा लेकिन जीत की सफलता दूर ही बनी रही। जिस सीट का उल्लेख यहां किया जा रहा है वह मानिकपुर है।

डकैतों का रहा है यहां राज

मानिकपुर क्षेत्र सूबे का ऐसा क्षेत्र है जहां डकैतों का ही राज हमेशा रहा है। राजनीतिक दलों को भी यहां आकर डकैतों की ही शरण लेना पड़ती  है। अपनी जीत के लिए सपा को भी यही करना पड़ा था लेकिन इसके बाद भी पार्टी को सफलता प्राप्त नहीं हो सकी।

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ददुआ से खासी नजदीकी

एक जमाने में सपा की डकैत ददुआ से खासी नजदीकी रही, इसीलिए वह मायावती की आंखों की किरकिरी बन गया।  जैसे ही मायावती पॉवर में आईं उन्‍होंने ददुआ का एनकाउंटर करा दिया।  बस यहीं से सपा के इस सीट पर बुरे दिन शुरू हो गए।

यह रहा है इस सीट का इतिहास

मानिकपुर विधानसभा सीट का इतिहास यह रहा है कि गांव के प्रधान का चुनाव तक डकैतों के इच्छानुसार होता रहा है। प्रधान तक उनकी इच्छा से चुने जाते थे। इसके अलावा यहां 1952 में कांग्रस की टिकट पर दर्शन राम जीते. इसके बाद अगले 3 चुनावों में भी कांग्रेस जीती । फिर जनसंघ के उम्‍मीदचार जीते। बीजेपी , बसपा भी जीती लेकिन सपा हमेशा हारी। 2017 के चुनावों में बीजेपी ने बसपा को हराने के लिए मास्‍टर प्‍लान बनाया और बसपा के ही पूर्व विधायक आरके पटेल को टिकट दे दी. पटेल भारी मतों से जीते। 2019 में पटेल के सांसद बनने के बाद उपचुनाव में भी सपा ने इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी लेकिन फिर भी खाली हाथ रह गई।