इंदौर। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि 13 साल की उम्र के स्कूली बच्चे एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) इंजीनियर्स बन सकते हैं। शायद आपका जवाब ना ही होगा। लेकिन खरगोन जिले के छोटे से कस्बे बड़वाह में संचालित प्रदेश के पहले रेसिडेंशियल आईसीएसई स्कूल में न सिर्फ यह नवाचार किया जा रहा है बल्कि इसे लागू भी कर दिया गया है। स्कूल ने 40 दिन का इंट्रोडक्टरी कोर्स डिजाईन कर इसकी शुरुआत की। इसे लेकर एआई से जुडी देश-दुनिया की कई कंपनियों को इन होनहार बच्चों में अपना भविष्य नजर आने लगा है। मजेदार बात यह है कि इन बच्चों की शार्पनेस से यहाँ आने वाले एक्सपर्ट भी हैरान है। तीन साल के सर्टीफिकेट के बाद ये स्कूली बच्चे अच्छे-अच्छे एआई इंजीनियर्स को मात दे सकेंगे।
खरगोन जिले के छोटे से कस्बे बडवाह का ‘द पेलेडियन हाउस’ स्कूल इन दिनों एआई को लेकर सुर्खियों मे है। उच्च गुणवत्ता के साथ शिक्षा से कैसे बच्चों को काबिल बनाया जाए, कैसे स्कूली बच्चों के हाथों में विकसित देशों की तर्ज पर हूनर सौंपा जाए। इस पर स्कूल ने एक नवाचारी प्रयोग किया। एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर पूरी दुनिया में तेजी से काम चल रहा है। आने वाला जमाना एआई का होगा। ‘द पेलेडियन हाउस’ स्कूल ने इसे लेकर देश की कई नामी-गिरामी कंपनियों से संपर्क किया। बकायदा रिसर्च करने के बाद स्कूल ने तय किया कि वे अपने बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में काबिल बनाने के साथ हूनरमंद बनाएँगे। 40 दिन का इंट्रोडक्टरी कोर्स डिजाइन किया गया। इसके लिए इच्छुक 25 बच्चों की एक बैच तैयार की गई।
स्कूल टाइम से हटकर 5 घंटे की क्लास शुरु की गई। इसमें क्रिएटिविटी, डिजाइनिंग और एआई के देश भर के तमाम एक्सपर्ट लोगों ने बच्चों का आईक्यू टेस्ट करने के साथ उन्हें पढ़ाया। यहाँ आने वाले दर्जनभर से ज्यादा लोग इस बात से हैरान थे कि यहाँ के बच्चें होशियार और तेज दिमाग तो थे ही उनकी जिज्ञासा और सीखने की ललक ने यह भी साबित कर दिया कि वे इंजीनिरिंग के बच्चों से भी सुपर फास्ट हैं। 40 दिनों में बच्चों ने एआई टूल्स के साथ, डिजाइनिंग, नेटवर्किंग, क्रिएटिविटी के साथ इंदौर के एसजीएसआईटीएस, एक्रोपोलिस कॉलेज, सूत मिल और बेहतर मैनेजमेंट के लिए विभिन्न संस्थाओं का भी विजिट किया।
29 अप्रैल को स्कूल में ‘टेक फॉर टूमॉरो’ के नाम से एक एजुकेशनल एक्सपो आयोजित किया जा रहा है। इसमें इंदौर, मुंबई, बेंगलोर और पूणे समेत कई शहरों के एक्सपर्ट और आईटी कंपनी के लोग शामिल हो रहे हैं। एक्सपो में डेमोस्ट्रेशन ऑफ रोबोट, ड्रोन रेग्यूलेट्स, विभिन्न एआई टूल्स का डेमो, प्रॉबल्म सोल्विंग पर विभिन्न प्रोजेक्ट्स का डिस्प्ले, डिजाइन मेकिंग पर क्रिएटिव थिंकिंग को लेकर प्रजेंटेंशन और 3 डी मॉडल पर अनुभवों को शेयर करने के अलग-अलग सत्र आयोजित किए जाएँगे।
40 दिनों तक इस कोर्स को कंडक्ट और डिजाइन करने वाले सीनियर सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल आशीष सराफ का कहना है कि देश में स्कूल बच्चों के साथ यह पहला प्रयोग बेहत सफलतम साबित होता दिखाई दे रहा है। यहाँ के बच्चों के सोचने और समझने की क्षमता कॉलेज लेवल के स्टूडेंट्स से ज्यादा तेज है। स्कूलिंग के दौरान तीन साल का सर्टिफिकेट कोर्स चलाया जाता है तो यकीनन यहाँ से निकलने वाले बच्चे एआई की फिल्ड के मास्टर होंगे। उनका स्कील किसी एआई इंजीनियर की तरह का होगा।
स्कूल के डायरेक्टर मुकेश गुप्ता का ध्येय है कि मौजूदा एजुकेशनल सिस्टम को गुणवत्तापूर्ण बनाने के साथ बच्चों को काबिल बनाना जरुरी है। श्री गुप्ता स्कूल संचालक होने के साथ शिक्षा पर लगातार रिसर्च करते हैं। वे देश भर के कई स्कूलों का विजिट कर चुके हैं। उनकी बड़ी धनराशि इस पर खर्च होती है। उन्होंने एआई के सर्टिफिकेट कोर्स शुरु करने की पहल की है। उनका विजन बहुत साफ है। श्री गुप्ता का कहना है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ काबिल बनाना चाहिए जिससे वे स्कूल से निकलते ही कमाई के अलावा स्कील लेवल पर बेहद सशक्त हों।