आखिर क्यों नहीं कसते रेत माफियाओं पर लगाम….

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संपादकीय

प्रदेश में रेत माफिया हावी है…यह बात निश्चित ही सरकार के अफसर ही नहीं जानते बल्कि सरकार के मुखिया स्वयं शिवराज भी जानते होंगे बावजूद इसके रेत माफियाओं पर लगाम नहीं कसा जाना हालिया सवाल खड़ा कर रहा है। अमुमन अभी तक कई बार पढ़ने और सुनने में आया है कि जिस किसी खनिज विभागीय अफसर ने रेत माफियाओं पर हाथ डालने का प्रयास किया है या तो वह अपनी जान से हाथ धो बैठा या फिर ऐसी हालत कर दी गई कि नौकरी पर ही जाने के योग्य नहीं रह गए…।

एक जानकारी के अनुसार प्रदेश के कई जिले ऐसे है जहां अभी भी नदियों से रेत का खनन अवैध रूप से जारी है…! जबकि प्रदेश सरकार ने अभी ठेके भी बंद कर रखे है, फिर भी यदि रेत का खनन किया जा रहा है तो क्या सरकारी अफसरों की नजर नहीं है…!

गौरतलब है कि ये वे ठेकेदार है जिनके सरकार ने ठेकों को निरस्त कर दिया है लेकिन इसके बाद भी इन ठेकेदारों द्वारा ही रेत का खनन किया जाकर रेत के ट्रक के ट्रक पहुंचाए जा रहे है। अब भले ही सरकारी खनिज विभाग ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों और माइनिंग अफसरों को पुराने ठेकेदारों के रेत के पुराने स्टाॅक का सत्यापन करने के लिए कहा है, फिर भी सवाल यह उठता है कि आखिर इस कार्रवाई को करने मंे देरी क्यों हो गई।

यहां लिखने में बिल्कुल भी गुरेज नहीं है कि अधिकांश ठेकेदारों के कतिपय राजनीतिज्ञों से प्रगाढ़ संबंध है और संभवतः यही कारण है कि रेत माफियाओं के हौंसले बुलंदी पर रहते है। अवैध रूप से होने वाला रेत खनन किया जाना नदियों के भी भविष्य पर प्रश्न चिन्ह् खड़ा करता है।

चुंकि कहीं न कहीं किसी न किसी रूप से रेत खनन का काम सरकारी तौर से भी जुड़ा हुआ है इसलिए रेत खनन के ठेके दिए जाना स्वाभाविक ही है वहीं मकानों या अन्य निर्माण कार्यों में भी रेत का उपयोग होता ही है, लिहाजा यदि अवैध व मनमाने ढंग से रेत खनन पर रोक लगाई जाए तो न केवल नदियों का पानी सतत प्रवाहमान रहेगा वहीं जो नियमानुसार ठेका लेकर रेत खनन का कार्य करते है वे भी अवैध ठेकेदारों के जाल में उलझने से बच जाएंगे…!