9 साल 1 दिन बाद ‘बच्चनवा’ आज फिर इंदौर में, कोकिलाबेन अम्बानी अस्पताल का करेंगे लोकार्पण

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नितिनमोहन शर्मा

आप हम सबका बच्चनवा 9 साल बाद फिर इन्दौर की धरा पर आ रहा है। अरे वो ही गंगा किनारे का छोरा। भंग छानकर, बनारसी पान खाने वाला। अपना लम्बुआ। अपना विजय। याद है न कैसे दरवाजा बंद कर उसने दुश्मनों को जमकर धोया था और फिर बाहर आकर नलके पर आकर सिर धोया था। वो ही शहंशाह आ रहा है जो अंधेरी रातों में मसीहा बनकर निकला था। अपनी माँ का विज्जु अग्निपथ को पार कर मौत से ‘अपेमेंट’ लेने वाला। कृष्णन अय्यर यम्मे का मित्र विजय दीनानाथ चौहान। पूरा नाम।

आ रहा है वो, जिसकी जिंदगी का तंबू… तीन बम्बू पर तना था। शायरी, शराब और मुंशी जी। चार यार के साथ रात गुलजार करने वाला आ रहा है। आ रहा है वो यार, जो सिक्के के दोनो पहलू को अपनी मुट्ठी में बांधकर दुनिया से अलविदा कह जाता है। अरे वो ही, मेमसाब का सिकंदर। जिंदगी को बेवफा ओर मौत को मेहबूबा करार देने वाला। जो रूप महल, प्रेम गली ओर खोली नम्बर 420 में रहता है। अपना एंथनी गुंजालवेज। हा, हा, वही अपना जान जानी जनार्दन।

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अपने अँगने में आ रहा है वो, जो कभी सबको कहता फिरा था कि मेरे अँगने में तुम्हारां क्या काम है? आ रहा है लौंगा इलायची का बीड़ा फसाने वाला। पल दो पल का शायर आ रहा है जिसे चांद भी मेहबूबा का कंगन नजर आता है। जो अपनी प्रियतमा के आंसू की हर बूंद को लाखों से तौलता है और 9 लाख के हार के लिए 12 लाख के आंसू को घाटे का सौदा मानता है।

आ रहा है वो शराबी जिसे कभी उतनी भी मय्यसर नही हुई जितनी वो पैमाने में छोड़ देता था। बादल-मोती के संग वाला वो मर्द तांगे वाला आ रहा है जिसने बुरी नजर वालो का मुंह काला कर दिया था। परदेशी नटवरलाल, बच्चो को कहानी सुनाकर झूठमूठ डराने वाला। अपना डेविड आ रहा है जिसकी बूढ़ी हड्डियों में आज भी इतनी जान है कि, वो अपने दुश्मन से बदला ले सके। नसीब वाला आ रहा है। सदी के सबसे साफ सुथरे शहर में, सदी का महानायक आ रहा हैं।

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जिसे 14 मुल्कों की पुलिस ढूंढती थी, वो डॉन आ रहा है। जो अब्दुल के हत्यारों को शान से ये कहता है कि अपना उसूल है, घर मे ही घुसकर मारते है। जुम्मे के जुम्मे चुम्मा लेने वाला, बिरज का वो बांका आ रहा है जिसके कारण बृजवासीनो ने मटकिया संभाली थी। अल्लाराखा जिसका रखवाला है, वो आ रहा है। मालिक का नमक खाकर नमक हलाली करने वाला अर्जुनसिंह वल्द भीमसिंह आ रहा है। जिसे सिर से लेकर पांव तक लोहे की जंजीर में जकड़ दिया था, वो कालिया आ रहा है। सब जंजीर तोड़कर।

अभिनंदन बागबान। आपका देश के सबसे स्वच्छ शहर में स्वागतम। इन्दौर आपको प्रिय है। घूमना भी चाहते है आप इस शहर में। ये ही तो कहा था न आपने हमारे तत्कालीन निगमायुक्त आशीष सिंह जी से। करोड़पति के मंच से। आपने इच्छा जताई थी शहर देखने की। तो मौका है ” अपन के इन्दौर ” के देखने का। ये मिनी मुम्बई है बच्चनवा जी। जिसे आप देखना चाहते हैं।