सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के सैयद जाफर और जया ठाकुर की याचिका में मध्य प्रदेश सरकार के पंचायत चुनावों को लेकर कमलनाथ सरकार के फैसले को पलटे जाने वाले अध्यादेश को चुनौती दी गई थी। जिसमें नए अध्यादेश के अनुसार पूर्व की व्यवस्था के अनुसार ही वर्तमान पंचायत चुनाव कराने की बात कही गयी थी। इसके बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग ने तीन चरणों में पंचायत चुनाव कराए जाने की घोषणा की थी। इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने तो पंचायत चुनावों पर रोक लगाने से मना कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई हैं।
आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कहा – “कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाएं और ओबीसी के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करें।” इससे पहले भी महाराष्ट्र के निकाय और पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट आदेश दे चुकी हैं। और अब मध्य प्रदेश के निकाय और पंचायत चुनाव पर भी सुप्रीम कोर्ट का वहीं आदेश आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश में होने वाले स्थानीय निकाय में OBC आरक्षण पर चुनाव नहीं होगा। अब ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य सीट जैसा ही माना जाएगा।
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कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण मामले को तूल न दे। ये अशांति पैदा करने वाला हो सकता हैं। विवेक तन्खा जो याचिकाकर्ताओं के वकील हैं ,ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए हैं कि चुनाव संविधान के हिसाब से ही कराये जाए। क्योकिं मध्यप्रदेश में आरक्षण रोटेशन का पालन नहीं किया गया, जो संविधान की धारा 243 (सी) और (डी) का उल्लंघन करता है।
हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट का विस्तृत आदेश आना शेष है। और इधर, राज्य निर्वाचन आयोग का कहना हैं कि कोर्ट का आदेश मिलने के बाद चुनाव रोकने पर निर्णय लिया जाएगा।