सब के हैं राम…सब में है राम…भूमिपूजन के शुभ प्रसंग पर मोदी जी से ज्यादा सारगर्भित बात मोहन भागवत जी ने कही… संघ प्रमुख ने आनंद के इस क्षण में मन की अयोध्या का जो जिक्र किया उसके बड़े गहरे मायने हैं… मंदिर निर्माण से पहले मन को मंदिर बनाने की सलाह के साथ ही उन्होंने आडवाणी जी को भी याद किया… सभी दोषों से…शत्रुता से मुक्त देश और समाज को गढऩे के इस संदेश में लोभ, कपट, मोह-माया से मुक्ति की बात शामिल है… किस तरह का भारत बनना चाहिए ये भी भागवत जी ने बताया… हालांकि मोदी जी ने भी शिलाओं को आपसी प्रेम और भाईचारे के साथ जोडऩे की बात कही है…जो उनके असल व्यवहार के विपरीत परिलक्षित होती रही है… भाजपा के लिए राम मंदिर सत्ता का माध्यम रहा है… रथयात्रा आडवाणी जी ने निकाली..जिन्हें टीवी पर भूमिपूजन देखना पड़ा और उनके सारथी रहे मोदी जी को इसका श्रेय मिला, जो इवेंट मैनेजमेंट के महारथी हैं… धन्यवाद देश की सर्वोच्च अदालत को भी दिया जाना चाहिए, जिसके फैसले से 500 साल के विवाद का पटाक्षेप होकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ… 2024 के पहले मंदिर बन भी जाएगा, ताकि आम चुनाव में इसे भुनाया जा सके… कांग्रेस की स्थिति 100 जूते के साथ 100 प्याज खाने वाली हो गई, जिसके नेताओं को तमाम ढोंग-धतूरे करना पड़ रहे हैं… वही देश की जनता को ये मुगालता ना रहे कि मंदिर बनने से देश में राम राज्य भी आ जाएगा… 80 फीसदी से अधिक जनता अभावों और अपनी रोजमर्रा की समस्याओं से वैसे ही जूझती रहेगी… लिहाज़ा जन-जन को आनंदित करने वाले उत्सव के बाद अब देश की असल समस्याओं पर गौर फरमाने की जरूरत है… कोरोना के कहर के बीच अर्थव्यवस्था पूरी तरह तबाह है… उसे पटरी पर लाने के लिए भी बड़ी कारसेवा की जरूरत है .. हर हाथ को काम और भूखे को रोटी चाहिए… होइहि सोइ जो राम रची राखा…प्रभु ने ये शुभ घड़ी भी तय कर रखी थी.. हम सब तो निमित्त मात्र हैं…अब भव्य मंदिर बनने दे और जिम्मेदार अपने मूल काम पर लौटें..!
राजेश ज्वेल