स्मृति शेष: गुरुदत्त द ग्रेट

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अमिताभ और रेखा के बीच उलझे मीडियावी समाज में गुरु दत्त साहब के लिए वक्‍त नहीं..बरसों बरस पहले 10 अक्टूबर के रोज ही तो हमसे बिछुडे़ थे।..

गुजरी शताब्दी की दस में चार सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्मों के रचयिता गुरु दत सेलीब्रिटी नहीं अपितु ऐसी ..हूक..थे जिसे अंतस ही महसूस कर सकता है..उनके लिए तो…’ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है..? स्मृति को नमन.।।

गुरु दत्त (वास्तविक नाम: वसन्त कुमार शिवशंकर पादुकोणे, जन्म: 9 जुलाई, 1925 बैंगलौर, निधन: 10 अक्टूबर, 1964 बम्बई)गुरु दत्त ने 1950वें और 1960वें दशक में कई उत्कृष्ट फ़िल्में बनाईं जैसे प्यासा, कागज़ के फूल, साहिब बीबी और ग़ुलाम और चौदहवीं का चाँद।

प्यासा और काग़ज़ के फूल को टाइम पत्रिका के 100 सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों की सूची में शामिल किया गया है। साइट एन्ड साउंड आलोचकों और निर्देशकों के सर्वेक्षण द्वारा, दत्त खुद भी सबसे बड़े फ़िल्म निर्देशकों की सूची में शामिल हैं।

उन्हें कभी कभी “भारत का ऑर्सन वेल्स” (Orson Welles) ‍‍ भी कहा जाता है। 2010 में, उनका नाम सीएनएन के “सर्वश्रेष्ठ 25 एशियाई अभिनेताओं” के सूची में भी शामिल किया गया।

गुरु दत्त 1950 वें दशक के लोकप्रिय सिनेमा के प्रसंग में, काव्यात्मक और कलात्मक फ़िल्मों के व्यावसायिक चलन को विकसित करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी फ़िल्मों को जर्मनी, फ्रांस और जापान में अब भी सराहा जाता है।