उज्जैन सिंहस्थ में लैंडपूलिंग योजना के तहत किसानों की जमीन अधिग्रहण को लेकर उत्पन्न भ्रम विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच भी दूर नहीं हो पाया। सत्र के अंतिम दिन प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने पूछा कि मुख्यमंत्री द्वारा लैंडपूलिंग एक्ट वापस लेने की घोषणा के बावजूद इसका औपचारिक आदेश अभी तक जारी क्यों नहीं हुआ। वहीं सरकार लगातार यही दावा करती रही कि आदेश जारी किया जा चुका है।
नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अपने लिखित उत्तर में स्पष्ट किया कि राज्य सरकार मौजूदा लैंड पूलिंग स्कीम को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के दायरे से बाहर नहीं मानती। टीएंडसीपी (संशोधन) अधिनियम 2019 की धारा 49 और 50 के प्रावधानों के अनुसार भू-स्वामियों को उनकी मूल जमीन का अधिकतम 50% हिस्सा विकसित अंतिम प्लॉट के रूप में वापस प्रदान किया जाता है।
लैंड पूलिंग में किसानों के अधिकार सुरक्षित
मंत्री विजयवर्गीय ने स्पष्ट किया कि इस तरह की नगर विकास योजनाएँ किसानों को उनकी पैतृक भूमि से जुड़े संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं करतीं। उन्होंने बताया कि लैंड पूलिंग व्यवस्था के तहत भू-स्वामियों को एलएआरआर अधिनियम–2013 के प्रावधानों के अनुसार उनकी मूल जमीन के 50% विकसित हिस्से के साथ-साथ उचित मुआवजा भी प्रदान किया जाता है।
अलग से मुआवजे की घोषणा की आवश्यकता नहीं
इसलिए लैंड पूलिंग के तहत भूमि अधिग्रहण के समय कलेक्टर गाइडलाइन या बाजार मूल्य के दोगुने पर अलग से मुआवजा घोषित करने की आवश्यकता नहीं होती। नगर विकास योजना की अधिसूचना जारी होने की तिथि पर जिन व्यक्तियों के नाम पर भूमि दर्ज होती है, उन्हीं भू-स्वामियों को समुचित प्रतिकर के रूप में उनकी मूल जमीन के 50% के बराबर विकसित भूखंड प्रदान किया जाता है। इस प्रक्रिया के कारण अधिसूचना जारी होने के बाद किसी भी बिचौलिये को योजना से लाभ उठाने की गुंजाइश नहीं रहती।
सीएम यादव ने कही ये बात
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इस पूरे सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ही दलों ने रचनात्मक और जिम्मेदार भूमिका निभाई। उन्होंने 13,476.94 करोड़ रुपये के द्वितीय अनुपूरक बजट के पारित होने पर संतोष व्यक्त किया। सीएम ने यह भी उल्लेख किया कि सत्र के दौरान प्रदेश ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं।
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