82,000 खा गया मकान मालिक, कोई हिसाब नहीं; शख्स की कहानी सुनकर चौंक जाएंगे आ

बेंगलुरु निवासी श्रवण टिक्कू ने सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती शेयर की कि मकान खाली करने पर ₹1.5 लाख डिपॉजिट में से ₹82,000 काट लिए गए, बिना पुख्ता वजह या बिल दिए। यह पोस्ट वायरल हो गई और कई लोगों ने इसी तरह की धोखाधड़ी की अपनी-अपनी कहानियां साझा कीं।

Shivam Kumar
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सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें श्रवण टिक्कू नाम के एक व्यक्ति ने अपने मकान मालिक द्वारा की गई भारी सिक्योरिटी डिपॉजिट कटौती की आपबीती शेयर की है। श्रवण ने बताया कि उन्होंने बेंगलुरु में दो साल तक एक 2BHK फ्लैट किराए पर लिया था और जब उन्होंने मकान खाली किया तो ₹1.5 लाख की जमा राशि में से उन्हें सिर्फ ₹68,000 ही वापस मिले। यानी ₹82,000 की बिना वजह कटौती कर ली गई।

मकान मालिक से कभी नहीं हुई बात

श्रवण के मुताबिक, पूरे दो साल में उन्होंने कभी सीधे मकान मालिक से बात नहीं की। हर बातचीत बिल्डिंग मैनेजर के ज़रिए होती थी। उन्होंने यह भी लिखा कि उन्हें पहले से ही चेतावनी मिल चुकी थी कि ये मकान मालिक पिछले किरायेदारों के साथ भी डिपॉजिट वापसी में धोखा कर चुका है। इसलिए वो मानसिक रूप से तैयार थे, लेकिन इतनी बड़ी कटौती की उम्मीद नहीं थी।

कटौती के बहाने थे हैरान करने वाले

जब श्रवण ने कटौती का विवरण मांगा, तो उन्हें एक हाथ से लिखी हुई पर्ची पकड़ा दी गई, जिसमें लिखा था – ₹55,000 पेंटिंग के लिए, ₹25,000 “अन्य नुकसान” और ₹2,000 लिफ्ट के इस्तेमाल के लिए! उन्होंने जब असली बिल और कोई प्रमाण मांगा, तो मैनेजर कोई भी दस्तावेज़ नहीं दिखा सका। यानी सारी कटौती मनमाने तरीके से की गई।

लोगों की प्रतिक्रियाएं और अनुभव

इस पोस्ट पर हजारों लोगों ने कमेंट किए और अपनी-अपनी कहानियां साझा कीं। किसी ने बताया कि चेन्नई में ₹4 लाख डिपॉजिट में से ₹1 लाख काट लिया गया, तो किसी ने हैदराबाद की कहानी सुनाई। कई लोगों ने इसे भारत में किराए की व्यवस्था का “अंधकारमय पहलू” बताया, जहां मकान मालिकों की मनमानी का कोई जवाब नहीं होता।

कब मिलेगा समाधान?

इस किस्से ने एक बार फिर रेंटल सिस्टम में पारदर्शिता और किराएदारों के अधिकारों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार या स्थानीय प्रशासन ऐसी शिकायतों के लिए कोई ठोस प्रक्रिया बनाए। क्योंकि जब तक ऐसी घटनाएं यूं ही होती रहेंगी, तब तक किराएदारों को न्याय मिलना मुश्किल होगा।